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प्रदीप भंडारी से एक्सक्लूसिव बातचीत में स्क्वैड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी बोलीं- मुझे पूरी उम्मीद है अदालत मेरे  साथ अन्याय नहीं करेगी

टेरर फंडिंग में दोषी पाए गए कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक को एनआईए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इस बीच कश्मीर में 1990 में शहीद हुए वायु सेना अधिकारी रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने कहा है कि उन्हें खून बदला खून मिलना चाहिए.

मंगलवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर प्रदीप भंडारी में स्क्वैड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना से यासीन मलिक को मिली उम्र कैद की सजा पर एक्सक्लूसिव बातचीत की.

मुझे विश्वास है मेरे मामले में अदालत कोई नरमी नहीं दिखाएगी’- स्क्वैड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी

प्रदीप भंडारी ने सवाल किया की,’क्या कोर्ट ने आतंकवादी यासीन मलिक को मौत की सजा नहीं सुनाई, निर्मल जी क्या आपको लगता है कि आज न्याय हुआ है’?

निर्मल खन्ना ने जवाब दिया कि,’अदालत ने आज जो फैसला
किया है उसका पूरे देश को सम्मान करना चाहिए. मेरा केस अलग है. ये टेरर फंडिंग का केस है, जो टेरर फैलाने के लिए दूसरे देशों से लिया गया है. मेरा मामला तो इससे बिल्कुल अलग है. अगर टेरर फंडिंग में उम्र कैद की सजा मिली है, तो मेरे मामले की सुनवाई तो 2 महीने बाद है. उस वक्त क्या संज्ञान लिया जाता है अदालत द्वारा, उसका हमें इंतजार करना चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे मामले में अदालत कोई भी उदारता नहीं बरतेंगी. यह सरकार का काम है कि हमको एक ऐसा पैगाम देना है आने वाली पीढ़ियों को, कि देश के अहित में खड़े होने के लिए उन्हें कई जन्मों तक सोचना पड़े.

स्क्वैड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी ने कहा ‘राष्ट्र सर्वोपारी’ है

प्रदीप भंडारी ने निर्मल खन्ना से सवाल किया कि, ‘क्या आपको उम्मीद है कि आप के मामले में आतंकवादी यासीन मलिक को फांसी होगी’?

IAF शहीद स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी ने प्रदीप भंडारी से कहा कि ‘राष्ट्र सर्वोपारी’ है और उन्होंने बताया कि वह न्यायपालिका में विश्वास रखती हैं क्योंकि कोर्ट ने आतंकवादी यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा दी है. यासीन मलिक शहीद स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना और IAF अधिकारियों की हत्या के मुकदमे का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि जो जिस धरती पर पैदा हुआ है उसी का लाल है, उसकी वफादारी निभानी चाहिए. खुद जीओ और औरों को जीने दो. अपने मामले में मुझे पूरे इंसाफ की उम्मीद है, आज तक मुझे न्याय अदालत से ही मिला है. हमारा न्यायतंत्र हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे बेहतर है. हमें न्यायतंत्र पर पूरा विश्वास होना चाहिए.

अंत में उनसे विदा लेते हुए प्रदीप भंडारी ने हाथ जोड़कर नमन किया और कहा की मैं और पूरे 130 करोड़ देशवासी आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.

 

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