नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सोमवार को ईडी के सामने पेश होना है. उनसे नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ की जाएगी. सोनिया गांधी के समन जारी होने के बाद करोना पॉजिटिव होने की वजह से अब उन्हें 23 जून को ईडी के सामने पेश होना है.
ईडी ने इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन अर्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी. हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने चंडीगढ़ और दिल्ली में प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस ने कई कांग्रेस नेताओं को हिरासत में ले लिया.
प्रदर्शनकारी कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है और इनका इस्तेमाल कांग्रेस व अन्य विरोधी नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है.
Rahul Gandhi faces ED questions in National Herald case
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— ANI Digital (@ani_digital) June 13, 2022
क्या है नेशनल हेराल्ड ?
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आजादी से पहले 1983 में नेहरू ने 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की थी. इस अखबार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL के द्वारा किया जाता है. AJL अखबार का प्रकाशन तीन भाषाओं में हुआ करता था अंग्रेजी में ‘नेशनल हेराल्ड’, हिंदी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘कौमी आवाज’. धीरे-धीरे 90 के दशक में अखबार घाटे में आने लगा. साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया. तब AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा. घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई. कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई 24 प्रतिशत कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थी. मोतीलाल वोरा का 2020 में और ऑस्कर फर्नांडीस का निधन हो गया. इसके बाद AJL के 90 करोड लोन को YIL ट्रांसफर कर दिया.
क्या है नेशनल हेराल्ड का पूरा विवाद?
2012 में भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया और घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेरा फेरी करके हड़पने का आरोप लगाया था. सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि YIL ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए “गलत” तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को “अधिग्रहित” किया. स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि YIL ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो AJL पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था. यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि AJL को दिया गया कर्ज “अवैध” था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था.