झारखंड में जामताड़ा के बाद प्रदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह जिले दुमका में भी कुछ स्कूलों को उर्दू स्कूल में परिवर्तित किए जाने का मामला प्रकाश में आया है. खबर है कि 33 से ज्यादा ऐसे स्कूल मिले हैं जो सरकारी होने के बावजूद रविवार को नहीं बल्कि शुक्रवार को छुट्टी देते हैं. मंगलवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट जी भंडारी ने इसी मुद्दे पर बात की
प्रदीप भंडारी ने कहा कि,’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज झारखंड के देवघर में थे और उन्होंने देवघर को 650 से ज्यादा एकड़ वाले एयरपोर्ट की सौगात दी. पीएम मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जिन्होंने बाबा बैद्यनाथ धाम के दर्शन किए. इससे पहले इंदिरा गांधी, राजीव गांधी भी झारखंड गए थे लेकिन उन्होंने बाबा बैजनाथ के दर्शन नहीं किए.’
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पर दो बातों का जिक्र किया एक विकास और दूसरा उन्होंने शॉर्टकट की राजनीति करने वाले नेताओं के खिलाफ वार किया और कहा जो नेता कल की नहीं सोचते, जो नेता देश की नहीं सोचते, और शॉटकट वाली राजनीति करते हैं उससे सिर्फ देश का नुकसान होता है. क्योंकि उन नेताओं को पता है वह दूरगामी राजनीति नहीं कर रहे. अगर आप इसके पीछे की बात समझेंगे तो यह उन परिवारवाद वाले नेताओं को एक करारा तमाचा था.
'आबादी मेरी ज्यादा तो मनमानी मेरी ज्यादा' mentality is unconstitutional and illegal'
Pradeep Bhandari's DALEEL on #JharkhandRow debate on Pradeep Bhandari's show @JMukadma on @IndiaNews_itv.#JharkhandSchoolControversy #Jharkhand pic.twitter.com/rxUoquEpx6
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) July 12, 2022
इस देश में तुष्टीकरण की राजनीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा क्योंकि तुष्टीकरण की राजनीति असंवैधानिक है. हेमंत सोरेन जी आप भी इस बात को समझ लीजिए, और साथ ही आपकी सरकार के हर नेता को यह बात समझ लेनी चाहिए. दुख की बात यह है कि झारखंड में पूरी तरह ग्राउंड पर तुष्टीकरण की राजनीति चलती हुई दिख रही है. झारखंड में सरकारी स्कूलों को उर्दू स्कूल में परिवर्तित करने का एक पूरा माफिया चल रहा है. यह सिर्फ जामताड़ा और गढ़वा में नहीं बल्कि इसकी खबरें और जमीनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खुद की विधानसभा से भी आ रही है.
मतलब साफ है अगर इनकी आबादी ज्यादा तो इनकी मनमानी भी ज्यादा वाले मकसद से इनका पूरा गिरोह काम कर रहा है. संविधान में तो लिखा है देश के सारे सरकारी स्कूल संविधान के हिसाब से चलेंगे और स्कूल के नियमों के तहत चलेंगे. स्कूल प्रशासन के साथ जबरदस्ती की और कहा गया स्कूल में प्रार्थना करने का नियम बदला जाए. रविवार को स्कूलों में छुट्टी दी जाती है लेकिन यहां पर मुसलमानों की आबादी ज्यादा है तो शुक्रवार को छुट्टी दी जाए. मतलब अब बाकी लोगों को भी सरिया वाला कानून मानना पड़ेगा.
जब इस बात का संज्ञान झारखंड सरकार ने लिया तो इस पर कार्यवाही हुई. लेकिन यह तुष्टीकरण का पहला मामला नहीं है झारखंड में. झारखंड के माइनॉरिटी अफेयर्स के मिनिस्टर ने कुछ समय पहले कहा था की याद रखें 20% वह भी है तो 80% इस बात का ख्याल रखें.. लेकिन अभी तक हेमंत सोरेन ने इस बयान के लिए कोई कार्यवाही नहीं की.
दुख की बात यह है कि सब नेता छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनीति करते हैं और संविधान और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं. लेकिन इसके पीछे यह लोग सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं. इस बात को बाबासाहेब आंबेडकर ने भी कहा था तभी संविधान बना था.