भारतीय परंपराओं के अनुसार भारतीय समाज में मातृशक्ति को सदैव ही उच्च स्थान दिया गया है। हम भारतीय तो मातृशक्ति को देवी के रूप में ही देखते हैं और भारतीय समाज के उत्थान में मातृशक्ति का योगदान हमेशा ही उच्च स्तर का रहा है। चाहे वह मातृत्व की दृष्टि से राष्ट्रमाता जीजाबाई का हो, नेतृत्व की दृष्टि से रानी लक्ष्मीबाई का हो या कर्तव्य की दृष्टि से देवी अहिल्याबाई होलकर का हो।
इसी कड़ी में आज दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के सभागार में राष्ट्र सेविका समिति, दिल्ली प्रांत की ओर से राष्ट्र सेविका वंदनीय लक्ष्मीबाई केलकर (मौसी जी) के 117वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का विषय था: ‘कुशल नेतृत्व की धनी मौसी जी’
जिसमे अपने अपने क्षेत्र की अग्रणी महिला नेत्रवकर्ताओं ने अपने अपने वक्तव्य दिए और वंदनीय मौसी जी को याद करते हुए नमन किया।
वर्ष 1925 की विजयादशमी के दिन जब भारतीय समाज में देश-प्रेम की भावना एवं सामाजिक समरसता विकसित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की जा रही थी तब यह बात उभरकर सामने आई थी कि मातृशक्ति को भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में स्थान दिया जाना चाहिए। उसी समय पर यह सोचा गया था कि मातृशक्ति के लिए भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तर्ज पर मातृशक्ति में देश-भक्ति एवं सामाजिक समरसता की भावना विकसित करने के उद्देश्य से एक अलग संगठन की नींव रखी जानी चाहिए।
कुछ समय पश्चात लक्ष्मीबाई केलकर (मौसीजी), परम पूज्य डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी के सम्पर्क में आईं और उनकी प्रेरणा से उन्होंने 25 अक्टूबर 1936 को विजयादशमी के ही दिन राष्ट्र सेविका समिति की नींव रखी। आपने राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापिका एवं आद्य प्रमुख संचालिका के रूप में एक सशक्त विचार प्रस्तुत किया और उन्होंने मातृशक्ति को राष्ट्र कार्य के लिए प्रेरित किया। राष्ट्र सेविका समिति महिला संगठन का सूत्र- “फेमिनिजम” नहीं बल्कि “फेमिलिजम” की विचारधारा है और “स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है” -यही राष्ट्र सेविका समिति का ध्येय सूत्र भी है।
आज कार्यक्रम की मुख्य अथिति रहीं अखिल भारतीय संवर्धिनी न्यास की संगठन सचिव मां माधुरी मराठे ने अपने वक्तव्य में वंदनीय मौसी जी को याद करते हुए उनके जीवन के आदर्शों और संकारों के बारे में युवाओं और अन्य अतिथियों को बताया, साथ ही उन्होंने वंदनीय मौसी जी के बारे में कई रोचक प्रसंग भी बताए जिसको सुनकर न केवल लोग हर्षित हुए बल्कि कई बार ठहाके लगाने को भी मजबूर हुए।
मां माधुरी मराठे ने कहा: आज युवा शक्ति इस सभागार में बैठी हुई है और वंदनीय मौसी जी के जीवन के संस्कारों को सुन रही है ये अपने आप में हर्ष का विषय है। ऐसे चरित्रों को सुनना चाहिए इनसे सीखना चाहिए और इनसे प्राप्त संस्कारों को अपने जीवन में सम्मिलित करना चाहिए।
उन्होंने कहा की वंदनीय मौसी जी जैसे चरित्रों को समझने के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाई जानी चाहिए जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को ऐसे चरित्रों के बारे में मालूम हो जिन्होंने मातृशक्ति और महिलाओं को सशक्त करने का बीड़ा उठाया।
मराठे जी ने आगे कहा की भारत में अंग्रेज आए और आ कर चले भी गए लेकिन अपने पीछे वो अंग्रेजियत छोड़ गए, आज के युवाओं को वंदनीय मौसी जी के साथ साथ विवेकानंद जी को भी पढ़ना चाहिए, जिनको पूरी दुनिया पढ़ती है लेकिन अपने ही देश के युवा नहीं पढ़ते। जबतक युवा ऐसे चरित्रों को पढ़ेंगे नहीं तब तक वो देश को गढ़ेंगे नहीं, और जब तक गढ़ेंगे नहीं तब तक राष्ट्र ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच सकता है।
उन्होंने आगे कहा की जिसने भागवत गीता को पढ़ा उसको जीना आ गया, क्योंकि शास्त्र विज्ञान से ऊपर उठकर है, जो केवल किताब पढ़कर नहीं प्राप्त होता है, उसके लिए साधना करनी होती है, जैसी साधना वंदनीय मौसी जी ने की थी।
वंदनीय मौसी जी का चरित्र अनुकारीय और अनुसरणीय था, मौसी जी के जीवन में कहीं भी ‘मैं’ नहीं था, उनके जीवन में हमेशा ‘आप’ का स्थान था। हम सभी को मिलकर राष्ट्र चिंतन करना चाहिए, वंदनीय मौसी जी के चिंतन को लेकर हम चलते हैं। मातृशक्ति न सिर्फ परिवार को जोड़ती है बल्कि समाज को भी संगठित करती है, और मातृशक्ति को जोड़ने का कार्य वंदनीय मौसी जी ने किया।
आगे उन्होंने कहा की वंदनीय मौसी जी के 8 बच्चे थे, उनके पति उस वक्त गुजर गए जब वो मात्र 27 वर्ष की थीं। इसके बावजूद उन्होंने अपने सभी बच्चों की अच्छी पढ़ाई, अच्छे संस्कार और अच्छी जगह पहुंचाने का काम किया।
देश के युवाओं को देना सीखना चाहिए, लेना तो सब जानते हैं, और ये मौसी जी के संस्कार हैं, उन्होंने हमेशा देना सीखा और यही हम सब को भी सिखाया, उन्होंने देश को सिखाया की अलग अलग संस्कारों के लोगों को इकट्ठा करो और उन्हें एक विचार से भरकर संगठित करो और सशक्त करो।
राष्ट्र सेविका समिति के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता शहीद राजगुरु कॉलेज की प्रिंसिपल और SOL दिल्ली विश्वविद्यालय की डायरेक्टर प्रो. पायल मागो ने की, कार्यक्रम में BPS विश्वविद्यालय सोनीपत की कुलपति प्रो. सुदेश छिकारा, संयोजिका प्रो. निशा राना और कार्यवाहक प्रचारक प्रो. हेम चंद जैन जी मौजूद रहीं।