बिहार की सियासत में बीजेपी से नाता तोड़ने और महागठबंधन में वापसी के बाद जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) का एक ही लक्ष्य दिखाई देता है। जेडीयू का लक्ष्य है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा बनाना। ऐसे में नीतीश कुमार सोमवार को तीन दिन के दिल्ली दौरे पर पहुंच रहे हैं, और इस दौरान वो विपक्षी एकता की दिशा में नई इबारत लिखने की कवायद करेंगे।
मंगलवार को जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने इसी मुद्दे पर आज का मुकदमा किया।
प्रदीप भंडारी ने कहा कि, ‘मैं विपक्ष के नेताओं से तथ्यों पर बात करना चाहता हूं और एक चुनाव विश्लेषक के रूप में बात करना चाहता हूं।’ आपका मोदी हटाओ के अलावा क्या एजेंडा है? देश की जनता के सामने आपका कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, मोदी हटाओ के अलावा क्या है? 2019 के पहले चंद्रबाबू नायडू ने यही कोशिश की नतीजा लोक सभा में, विधानसभा में और पंचायत के चुनाव में उनको सीटे हारनी पड़ी, और आज वो अपनी राजनीति बचाने के लिए एनडीए में आना चाहते हैं।
प्रदीप भंडारी ने आगे कहा की, 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद ममता बैनर्जी ने भी यही कोशिश की, आज वो RSS की तारीफ करती हुई दिख रही है। 2019 के पहले और 2019 के बाद राहुल गांधी, सोनिया गांधी ने भी यही कोशिश की, नतीजा पार्टी के बड़े नेता छोड़ के जा रहे हैं और पार्टी 10% भी पूरे भारत में वोट पाने में असक्षम हैं।
जब यह सब फेल हो गया तो, अब लॉबी ने नीतीश कुमार को अपना चेहरा बनाने का फैसला किया, वही नीतीश कुमार जिनकी पार्टी अकेले बिहार की पूरी सीट नहीं जीत पाई, जिनका बिहार में राजनीतिक अस्तित्व 100 सीट से ज्यादा वाले राज्य में 40 से 50 पर आकर सिमट गया।
'Nitish Kumar is today banking on the failed MAHAGATHBANDHAN experiment to take on PM #NarendraModi in 2024. Is he bound to fail?' –
Pradeep Bhandari analyses #Nitish2024Plan on tonight's edition of @JMukadma on @IndiaNews_itv.@pradip103 #NitishKumar pic.twitter.com/tnIKoWFTKe
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) September 6, 2022
प्रदीप भंडारी ने कहा, तथ्य यह है कि 37 % वोट शेर और 55 % सीट शेर वाली बीजेपी के सामने 2.95% वाली जेडीयू को आगे रखना उसी राजनीतिक भूल के समान दिख रहा है जो ममता बनर्जी ने 2019 के पहले की थी। “हमसे जो टकराएगा चूर-चूर हो जाएगा”- नतीजा 2019 चुनाव में टीएमसी का ऑल इंडिया वोट शेयर 4.05% रहा। तो फिर एक नहीं, दो नहीं तीन बार मोदी विरोध की राजनीति में सबक सीखने के बाद भी, यह क्यों नहीं सीख रहे? 1988 का फार्मूला 2024 में क्यों अप्लाई कर रहे हैं?
क्यों अभी ना नीतीश कुमार, ना राहुल गांधी, ना कोई दूसरा नेता यह समझ पा रहा है कि विपक्ष बनने के लिए अभी कोई विकल्प नहीं है और इसीलिए यही महागठबंधन वाली स्ट्रेटजी मेरा अनुमान है 2024 में भी वैसे ही फ्लॉप होगी जैसे 2019 में हुई थी। क्योंकि यह जनता के मूड के परे दिख रहा है, भले ही यह लोग राज्य के चुनाव में कारीगर साबित हो जाए पर राष्ट्रीय चुनाव में यह बाय डिफॉल्ट फ्लॉप स्ट्रेटजी है।