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PFI पर बैन के ऐलान के बाद वोट बैंक वाले नेता क्यों हैं बेचैन?- प्रदीप भंडारी की दलील

केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई को गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब पीएफआई किसी प्रकार की गतिवधि को अंजाम नहीं दे सकता है। वह ना कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकता है, न तो उसका कोई दफ्तर होगा, न वो कोई सदस्यता अभियान चला सकता है और न ही फंडिंग ले सकता है।

बुधवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर शो की होस्ट प्रदीप भंडारी ने केंद्र सरकार की इसी कार्यवाही पर मुकदमा किया।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, ऑपरेशन ऑक्टोपस के पहले दिन से – हम कह रहे हैं कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है और 7 दिनों में – मोदी सरकार ने वह किया है जो यूपीए सरकार वर्षों तक नहीं कर सकी। कट्टरपंथी-इस्लामी-सांप्रदायिक-आतंक से जुड़े पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर यह प्रतिबंध ऑपरेशन ऑक्टोपस का एक स्वागत योग्य निर्णय है। इस तरह के साहसी कदम को अंजाम देने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनानी पड़ती है – यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई दंगा न हो, कोई सामूहिक लामबंदी न हो, कोई अप्रिय घटना न हो।

यह कार्रवाई और उसके बाद जो प्रतिबंध लगा वह केवल और केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन, गृह मंत्री अमित शाह की कार्रवाई और एनएसए अजीत डोभाल की वजह से हुआ है।

प्रदीप भंडारी ने आगे कहा कि, आज रात, जैसा कि इंडिया न्यूज में देश हमारे साथ इस प्रतिबंध का जश्न मना रहा है – एक ऐसे राजनेताओं का समूह है – जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध को लेकर नाखुश हैं। यह वोट बैंक वाले राजनेता RSS पर प्रतिबंध लगाने का मांग कर रहे हैं। ये वोट बैंक के भूखे नेता – जैसे असदुद्दीन ओवैसी, लालू यादव, कुछ वामपंथी और कुछ कांग्रेस में, मोदी शाह की PFI पर सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा रहे हैं। ये लोग कल तक पूछ रहे थे कि PFI पर बैन क्यों नहीं लग रहा? PFI पर कब प्रतिबंध लगाएगी सरकार? और आज जब सरकार ने PFI और उसके सहयोगियों पर प्रतिबंध लगा दिया है – तो ये वोट बैंक वाले नेता राजनीति कर रहे हैं। यह शर्मनाक है। क्योंकि आज का दिन राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा को राजनीतिक हितों से ऊपर रखने का है।

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