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महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे एक मजबूत नेता के रूप में उभर कर आमने आ रहे हैं- प्रदीप भंडारी की दलील

आज उद्धव ठाकरे  गुट और एकनाथ शिंदे गुट की अलग-अलग दशहरा रैली हुई। इस दौरान ठाकरे ने शिवसैनिकों को संबोधित करते हुए एकनाथ शिंदे गुट पर तीखा हमला किया और गद्दार करार दिया। वहीं दूसरी तरफ बीकेसी ग्राउंड में दशहरा रैली में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा गर्व से कहो हम हिंदू हैं। बुधवार को अपने शो जनता का मुकदमा शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने इसी मुद्दे पर मुकदमा किया।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि,आज का मुकदमा महाराष्ट्र में हो रहे ऐतिहासिक राजनीतिक के ऊपर है। दो‌ लाख से ज्यादा शिवसैनिक एकनाथ शिंदे की रैली में आए हैं वही 80 हजार लोग उद्धव ठाकरे की रैली में है। एनसीपी और कांग्रेस ने भी उन्हें समर्थन किया है। एकनाथ शिंदे की एंट्री के दौरान हाथ में  तीर धनुष और रैली में जय श्रीराम के नारे और गर्व से कहो हम हिंदू हैं,  शिवसेना को कभी कांग्रेस नहीं बनने दिया जाएगा आपको देखने को मिलेंगे।

यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 50 सालों में अभी तक दो शिव सैनिकों की रैली एक साथ नहीं हुई है जहां एक तरफ उद्धव सेना दूसरी तरफ शिंदे सेना साथ मे दिखी। आने वाली आगामी महाराष्ट्र BMC चुनाव से पहले ये एक ऐतिहासिक पल हैं।

वही दूसरी तरफ एक बाद एक  लोग एक नाथ शिंदे सेना में शामिल हो रहे हैं , 27 साल से बालासाहेब ठाकरे के साथ जुड़े थापा उद्धव सेना की जगह शिंदे सेना के साथ जुड़ चुके हैं। खबर आ रही है कि कई विधायक भी उद्धवउद्धव सेना के बजाय शिंदे सेना में जुड़ने वाले हैं।

उद्धव ठाकरे और उनके करीबी अरविंद सावंत भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो रहे हैं तो यह साफ है कि एनसीपी और कांग्रेस उद्धव ठाकरे को पीछे से समर्थन दे रही है वहीं दूसरी तरफ पूरे हिंदुत्व अवतार के साथ शिंदे सेना यह दावा कर रही है कि बालासाहेब ठाकरे की असली विरासत को आगे ले जाने वाले हैं। महाराष्ट्र की जनता को आने वाले समय में यह निर्णय करना है कि असली शिवसेना कौन है।

पिछले कुछ समय में शिंदे सेना काफी मजबूत हुई है क्योंकि समय-समय पर नाथ शिंदे सेना को बढ़त मिलती नहीं है। उद्धव ठाकरे को लगा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हो तीर धनुष वाले सिंबल पर रोक लगा पाएंगे पर अभी भी एकनाथ शिंदे सेना के हाथ में  हैं। एकनाथ शिंदे ने मंच पर बालासाहेब ठाकरे के लिए कुर्सी खाली रखी है और तंज कसा है उद्धव ठाकरे पर जो संजय रावत का समर्थन करते थे।

मतलब साफ है मराठी मतदाताओं को एकजुट किया जा रहा है क्योंकि उत्तर भारतीय मतदाता बीएमसी चुनाव के अंदर महत्वपूर्ण होते हैं जिन्होंने पिछली बार भी बीजेपी को समर्थन दिया था।

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