आज प्रदीप भंडारी के साथ इन्टरव्यू में संजीव सान्याल ने कहा किसी ने यह बता दिया है कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम केवल अहिंसा और राजनीति के माध्यम से प्राप्त किया गया था और अंग्रेजों ने भारत इस लिए नही गए थे की हमने उनसे विनम्रता से जाने के लिए कहा था, लेकिन सत्य यही है की बड़े संघर्ष के बाद मिली थी आजादी ।
भारत का स्वतंत्रता संग्राम 18वीं शताब्दी का स्वतंत्रता संग्राम भारत की आजादी के इतिहास का सबसे खूनी संग्राम था, भारत के स्वतंत्रता संग्राम को हथियारों से परिभाषित किया जाना चाहिए, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि गांधीवादी तरीके की भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम की अनकही कहानी ब्रिटिश कब्जे के सशस्त्र प्रतिरोध के बारे में है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र के संघर्षों की कहानी को छोड़ दिया गया है ।
आजादी की कहानी सिर्फ एक या दो क्रांतिकारी के बारे में नहीं है ,दशकों से क्रांतिकारियों ने उपनिवेशवादियों से लड़ने के लिए सशस्त्र प्रतिरोध का सहारा लिया ।
कई विस्फोटक खुलासे करते हुए संजीव सान्याल ने कहा की टेक्स्ट बुक या डॉक्युमेंट्री में अब तक जो दिखाया गया है ,क्रांतिकारी के बारे में, वो असली कहानी है ही नहीं वो हमें भ्रम में रखने के लिए दिखाया गया है।
उन्होंने बताया की बहुत सारे क्रांतिकारी के तो नाम ही इतिहास की किताबों से मिटा दिए गए थे, लोगों के मन में ये घुस गया गया की भगत सिंह ने जो किया उससे देश के इतिहास की धारा नहीं बदली ।