शनिवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर आज का मुकदमा किया।
प्रदीप भंडारी ने कहा कि, कॉलेजियम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की एक व्यवस्था है। ये व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने खुद तय की है। इसके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों के ट्रांसफर पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और चार अन्य सबसे सीनियर जजों का समूह फैसला लेता है।
इसी तरह हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश उस हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और दो सबसे सीनियर जजों का समूह करता है। इन सिफारिशों की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और दो सबसे सीनियर जज करते हैं। इसके बाद ये नाम राष्ट्रपति के पास जाता है। जजों के समूह यानी कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को सरकार राष्ट्रपति के पास भेजती है। इन सिफारिशों को मानना राष्ट्रपति और सरकार के लिए अनिवार्य होता है।
शो के दौरान मुख्य अतिथि रिटायर्ड जज हाई कोर्ट जस्टिस एसएन ढींगरा ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम अगर अपने सही तरीके से काम करता तो आज शायद उस पर यह सवालिया निशान नहीं उठते। सिस्टम के अंदर जजों की नियुक्ति को लेकर उन्होंने कहा कि नियुक्ति करने वाले जज अक्सर इस बात को नहीं बता पाते कि उन्होंने किस मापदंड के आधार पर नए जजों की नियुक्ति की है।
यही वह सबसे बड़ा कारण बनता है जब कॉलेजियम सिस्टम पर सवालिया निशान उठने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज जनता के बीच इस सिस्टम की पहचान इस तरह से बन चुकी है कि, हर कोई समझता है कि इस सिस्टम के तहत जजों की नियुक्ति रिश्तेदारों जानकारों भाई बहनों के तहत ही होनी अनिवार्य होती है।