वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। बजट पेश करने में अब 24 घंटे से भी कम का समय बचा है, ऐसे में देश के आम आदमी की उम्मीद भरी निगाहें निर्मला सीतारमन पर लगी हुई हैं, और सभी बस ये जानना चाहते हैं की आखिर इस बजट में उनके लिए क्या खास होने वाला है। बढ़ती महंगाई, एग्री सेक्टर और किसानों की परेशानियां, आत्मनिर्भर भारत, बढ़ते खतरों के बीच डिफेंस पर ध्यान, टैक्स नियमों और डिडक्शन को लेकर बदलाव आदि अहम मुद्दे हैं, जिनके ऊपर इस बजट में खास फोकस रहने की उम्मीद है।
बजट से हैं ये 5 उम्मीदें
महंगाई: मोदी सरकार का पहला कार्यकाल महंगाई के लिहाज से अच्छा रहा था. हालांकि इस दूसरे कार्यकाल में चीजें उतनी अच्छी नहीं रह गईं और पिछले 1-2 साल से महंगाई फिर लोगों को डराने लग गई. हाल ही में जारी हुए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में खुदरा महंगाई की दर 5.59 फीसदी रही, जो पिछले 6 महीने में सबसे ज्यादा है. थोक महंगाई का आंकड़ा और डरावना है. दिसंबर में थोक महंगाई की दर 13.56 फीसदी रही. इस बढ़ी महंगाई ने लोगों की हालत पतली कर दी है. आरबीआई ने हाल ही में बताया था कि बढ़ती महंगाई से लोगों की बचत आधी से भी कम रह गई है. ऐसे में हर कोई उम्मीद कर रहा है कि सरकार बजट में महंगाई को काबू करने के उपाय करेगी. सरकार के लिए भी यह बड़ी चुनौती है क्योंकि इकोनॉमिस्ट और एनालिस्ट फिलहाल महंगाई को महामारी से ज्यादा बड़ा खतरा मान रहे हैं.
कृषि: कृषि क्षेत्र पर मोदी सरकार ने शुरुआत से खास ध्यान दिया है. जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तो उनकी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया. इसे लेकर 13 अप्रैल 2016 में फार्मर्स इनकम कमेटी बनाई गई. सरकार ने मार्च 2022 तक किसानों की आय डबल करने का टारगेट तय किया था. अब महज दो महीने में यह समय पूरा हो जाएगा, लेकिन किसानों की हालत लक्ष्य के अनुकूल नहीं सुधर पाई है. NSSO की एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी किसानों की औसत आय 10,218 रुपये मासिक है और इसमें खेती से सिर्फ 3,798 रुपये की कमाई हो रही है. 10 साल पहले किसानों को 50 फीसदी कमाई खेती से हो रही थी. बजट में इसे सुधारने के उपाय किए जा सकते हैं. अनुमान है कि कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार 2022-23 के बजट में कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाकर 18 लाख करोड़ रुपये कर सकती है.
आत्मनिर्भर भारत: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल 2021-22 में बजट पेश करते हुए कहा था कि यह आत्मनिर्भर भारत के लिए है. इसके बाद हमने हाल ही में देखा कि चिप शॉर्टेज ने किस तरह से ऑटो समेत कई सेक्टरों को नुकसान पहुंचाया. इसका कारण यह है कि हम चिप के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हैं. भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर सेमीकंडक्टर आयात करता है. अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान चीन से आयात 52 फीसदी बढ़ा है. ऐसे में निश्चित तौर पर सरकार आत्मनिर्भर भारत के विजन को जमीन पर उतारने के लिए बजट में कुछ बड़े ऐलान कर सकती है. महत्वपूर्ण सेक्टरों को सरकार से प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेन्टिव का लाभ मिल सकता है.
डिफेंस: मोदी सरकार के कार्यकाल पर रक्षा पर खर्च लगातार बढ़ा है. 2014 में भारत का रक्षा बजट 2.29 लाख करोड़ रुपये का था. पिछले साल पेश बजट में डिफेंस के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. इस तरह मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत का रक्षा बजट दो गुने से ज्यादा हो चुका है. चीन के साथ सीमा पर बढ़े तनाव को देखते हुए रक्षा के मामले में भारत को अपनी स्थिति में काफी सुधार करने की जरूरत है. इसके लिए हथियारों के आयात को कम करने और देश में डेवलपमेंट पर जोर देने की जरूरत है. ऐसा माना जा रहा है कि इस बजट में पहली बार डिफेंस सेक्टर को 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन हो सकता है.
टैक्स: टैक्स किसी भी बजट से जुड़ा सबसे जरूरी टॉपिक होता है. मोदी सरकार के कार्यकाल में इनकम टैक्स का नया ढांचा सामने आया है. इसी तरह इनडायरेक्ट टैक्स में जीएसटी लाकर व्यापक बदलाव किया गया है. इस बजट में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि 80सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए. कोरोना महामारी के चलते लोगों की आमदनी पर असर हुआ है और काम करने के कल्चर तेजी से बदला है. कई सेक्टर में लोग 2 साल से वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. ऐसे में बजट में इन कर्मचारियों को तोहफा मिलने की उम्मीद बढ़ी है.