प्रदीप भंडारी ने आज जन की बात का त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए ओपिनियन पोल जारी किया है ।जन की बात के सर्वे में 10 हजार लोगों ने हिस्सा लिया है। जन की बात के इस सर्वे में ग्रामीण और शहरी इलाकों के मतदाताओं से डाटा इकट्ठा किया गया है। ग्रामीण इलाकों के जनजातीय और गैर-जनजातीय क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। सर्वे के अनुसार, यहां की कुल 60 सीटों में से भाजपा गठबंधन को 30 से 35 सीटें, सीपीएम गठबंधन को 16 से 13 सीटें, टिपरा को 13 से 11 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।
वहीं वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी+ इसमें बढ़त बनाते दिख रही है। जन की बात के सर्वे के अनुसार, सीपीएम+ को 38 से 41 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर मिलता दिख रहा है। वहीं भाजपा गठबंधन को 39 से 42 प्रतिशत वोट शेयर मिलता दिख रहा है। दूसरी ओर, प्रद्योत देबबर्मन की तिपरा मोठा को 16 से 21 प्रतिशत और अन्य को 1 से 2 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया गया है।
डेमोग्राफी वाइज देखें तो बंगाली हिंदुओं की पहली पसंद भाजपा है और जन की बात के अनुमान मुताबिक, करीब 60 प्रतिशत बंगाली हिंदुओं भाजपा के तरफ वोट करता दिख रहा है। इसके बाद 30 प्रतिशत बंगाली हिंदुओं के सीपीएम गठबंधन और 8 प्रतिशत बंगाली हिंदुओं के तिपरा को वोट देने का अनुमान दिख रहा है। वहीं 2 प्रतिशत बंगाली हिंदुओं ने अन्य पार्टियों को वोट कर सकते हैं। बंगाली मुस्लिमों की पहली पसंद की बात करें तो इसमें सीपीएम+ सबसे आगे है।
आदिवासी लोगाें की बात करें तो प्रद्योत देबबर्मन की टिपरा उनकी पहली पसंद है।जन की बात के मुताबिक 65 प्रतिशत जनजातीय लोग तिपरा गठबंधन को वोट दे सकते हैं। वहीं भाजपा और सीपीएम गठबंधन को जनजातीय लोगों की तरफ से क्रमश 25 और 9 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान हैं। सर्वे के मुताबिक जनजातीय समुदाय में में भी त्रिपुरी जनजाती में भाजपा को 55 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है।
आपको बता दें की 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन ने यहां 60 में से 43 सीटों पर कब्जा किया था। भाजपा ने अकेले दम पर यहाँ बहुमत का आँकड़ा पार कर लिया था। कॉन्ग्रेस को यहाँ एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। सीपीएम गठबंधन को 16 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। भाजपा ने सीपीएम के 25 साल पुराने शासन का अंत कर दिया था।