बांग्लादेश की सीमा से सटे त्रिपुरा में पूर्वी बंगाल यानी बांग्लादेश से आने वाले प्रवासियों में बड़ी संख्या हिंदुओं की है। 1947 में देश के विभाजन और फिर 1971 के युद्ध के दौरान हिंदू बंगाली शरणार्थियों की बड़ी आबादी त्रिपुरा आकर बस गई थी। इसके चलते यहां के मूल आदिवासी लोग अल्पसंख्यक हो गए हैं।
त्रिपुरा में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग बंगाली और आदिवासी है, राज्य के कुल 28 लाख से अधिक मतदाताओं में लगभग 10 लाख आदिवासी हैं।
त्रिपुरा ओपिनियन पोल के अनुसार, यहाँ की कुल 60 सीटों में से भाजपा गठबंधन को 30 से 35 सीटें, सीपीएम गठबंधन को 16 से 13 सीटें, तिपरा गठबंधन को 13 से 11 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।
वहीं वोट शेयर की बात करें तो सीपीएम गठबंधन ने इसमें बाजी मारी है। सर्वे के अनुसार, सीपीएम गठबंधन को 41 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर मिला है। वहीं भाजपा गठबंधन को 32 से 39 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया गया है। दूसरी ओर, तिपरा गठबंधन को 16 से 21 प्रतिशत और अन्य को 1 से 2 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया गया है।
वहीं डेमोग्राफी के हिसाब से बात करें तो बंगाली हिंदुओं की पहली पसंद भाजपा है और सर्वे के मुताबिक, करीब 60 प्रतिशत बंगाली हिंदुओं द्वारा भाजपा को वोट देने का अनुमान जताया गया है। इसके बाद 30 प्रतिशत बंगाली हिंदुओं के सीपीएम गठबंधन और आठ प्रतिशत बंगाली हिंदुओं के तिपरा गठबंधन को वोट देने का अनुमान जताया गया है। वहीं 2 प्रतिशत बंगाली हिंदुओं ने अन्य पार्टियों को वोट दिया है। दूसरी ओर बंगाली मुस्लिमों की अगर बात करें तो इसमें सीपीएम गठबंधन सबसे आगे है।