सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दिल्ली सरकार को बड़ी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और माना है कि नौकरशाहों पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दिल्ली सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिया है।
CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एम.आर. शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की संविधान पीठ ने कहा कि यह मामला सिर्फ सर्विसेज़ पर नियंत्रण का है। हम जस्टिस भूषण के 2019 के फ़ैसले से सहमत नहीं हैं। यह फ़ैसला बहुमत का, सभी जजों की सहमति से है। जस्टिस भूषण ने कहा था कि सेवाओं पर केवल केंद्र का अधिकार क्षेत्र है। लेकिन दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना आवश्यक है। अनुच्छेद 239AA व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है। संसद के पास तीसरी अनुसूची में किसी भी विषय पर कानून बनाने की पूर्ण शक्ति है।यदि केंद्र और राज्य के कानूनों के बीच विरोध होता है, तो केंद्रीय कानून प्रबल होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोकतांत्रिक सरकार में प्रशासन का असली अधिकार चुनी हुई सरकार के पास ही होनी चाहिए। दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास ही असली शक्ति होनी चाहिए। बताते चलें कि सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पांच दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार की लड़ाई में दिल्ली सरकार की बड़ी जीत हुई है। आम आदमी पार्टी में खुशी और जश्न का माहौल है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और माना कि नौकरशाहों पर उसका नियंत्रण होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दिल्ली सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिया है।