अडानी ग्रुप पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। वहीं कुछ महीन पहले हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप पर खूब निशाना साधा गया। देश के कुछ बड़े नेताओं ने अडानी ग्रुप पर जमकर हमला किया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अडानी मामले में पीएम मोदी को घेरते हुए कहा था, ‘पीएम मोदी नहीं चाहते कि संसद में इस मामले पर चर्चा हो, लेकिन देश को ये पता तो चलना चाहिए कि अडानी के पीछे कौन सी शक्तियां काम कर रही हैं। मैं 2-3 साल से अडानी का मुद्दा उठा रहा था, पर सरकार नहीं सुन रही थी। अब भी सरकार पूरी कोशिश करेगी कि संसद में अडानी मुद्दे पर कोई चर्चा न हो। सरकार को संसद में इस पर चर्चा की अनुमति देनी चाहिए।’ राहुल ने पूछा था कि अडानी की शेल कंपी में 20 हजार करोड़ किसके हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी को इसका जवाब देना चाहिए।
कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश और केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। कांग्रेसी नेता देवेंद्र नापित ने कहा था कि लोकसभा में कांग्रेस ने अडानी मामले के खुलासे की मांग की, लेकिन केंद्र सरकार इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रही है। कांग्रेस जिला महामंत्री संजय नायक ने कहा कि हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के अडानी के पक्ष में नीति की पोल खोल दी है। गहरे आर्थिक संकट के समय में पीएम मोदी देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को अडानी समूह को बेच रहे हैं। देश की विदेश नीति को झुका रहे हैं और एसबीआई और एलआईसी जैसे सार्वजनिक संस्थानों को निवेश करने के लिए मजबूर कर रहे है।
कांग्रेस की नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा था कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में अडानी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा , “थी ख़बर गर्म कि ‘ग़ालिब’ के उड़ेंगे पुर्ज़े, देखने हम भी गए थे, पर तमाशा न हुआ।
बताते चलें कि अडानी पहले एक दो बिजनेस करते थे लेकिन अब ये आठ-दस सेक्टर में काम करते हैं. इसमें एयरपोर्ट, डेटा सेंटर, सीमेंट, सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, एयरोस्पेस एंड डिफेंस, कंज्यूमर फाइनेंस, रिन्यूएबल, मीडिया और पोर्ट शामिल हैं।