असम में बहुविवाह को बैन करने की तैयारियां चल रही हैं। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कमर कस ली है। असम सरकार ने बहुविवाह को समाप्त करने के लिए एक कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच के लिए 4 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 60 दिनों की समय सीमा दी गई है। इस आधार पर असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया है कि, 2024 से पूर्व बहुविवाह पर रोक लगेगी।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को कहाकि, असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध 2024 से पहले लगाया जाएगा। राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध को लागू करने पर विस्तृत अध्ययन के लिए एक समिति के गठन की प्रक्रिया चल रही है। पर देर शाम को असम सरकार ने बहुविवाह को समाप्त करने के लिए एक कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच के लिए 4 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 60 दिनों की समय सीमा दी गई है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि इस साल के अंत तक, 2024 से पहले हमारे पास असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून हो सकता है। असम सीएम ने यह जानकारी एक प्रेस वार्ता में दी।
असम सरकार ने बहुविवाह को समाप्त करने के लिए एक कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच के लिए 4 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 60 दिनों की समय सीमा दी गई है। pic.twitter.com/EMCbRD0klO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 11, 2023
बहुविवाह रोकने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की टिप्पणी तीन दिन बाद आई है जब उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि, असम सरकार ने इस बात की जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है कि, क्या राज्य विधानमंडल को राज्य में बहुविवाह पर रोक लगाने का अधिकार है। पर आज देर शाम को असम सरकार ने बहुविवाह को समाप्त करने के लिए एक कानून बनाने के लिए राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता की जांच के लिए 4 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 60 दिनों की समय सीमा दी गई है।
समिति करेगी व्यापक विचार-विमर्श
असम सीएम सरमा ने ट्वीट किया, समिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की जांच राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के साथ करेगी। समिति सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करेगी।