कांग्रेस छोड़ चुके वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने नए संसद भवन को लेकर मचे बवाल के बीच एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने नए संसद भवन को लेकर सवाल उठा रही कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कुछ सवाल किए हैं। बता दें कि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चीफ गुलाम नबी आजाद ने नए संसद भवन को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच कहा कि आज से लगभग 23-32 वर्ष पहले कांग्रेस ने ही एक नए संसद भवन को लेकर तब विचार रखा था जब पी वी नरसिम्हा राव मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हुए थे।
आगे उन्होंने कहा कि उस समय शिवराज पाटिल ने कहा था कि कि 2026 से पहले देश के भीतर एक नए संसद भवन के बनाए जाने की अत्यंत आवश्यकता है। क्योंकि 2026 तक संसद की नई सीटों के बढ़ाए जाने पर संवैधानिक अंकुश लगा हुआ है। यदि आज कांग्रेस नए संसद भवन का विरोध कर रही है तो ये कोई नई बात नहीं है, खुद कांग्रेस ने 32 साल पहले ऐसी ही इच्छा जताई थी।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि देश के भीतर मौजूदा समय में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी माहौल गर्माया हुआ है। नए संसद भवन के पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने के विरोध में देशभर की 19 विपक्षी पार्टियों ने संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करने का निर्णय किया है।
कांग्रेस समेत सभी 19 विपक्षी दल इस मांग पर अड़े हुए हैं कि पीएम मोदी के स्थान पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद भवन का उद्घाटन करें। इस बीच कांग्रेस के ही पूर्व नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि अब कोई इसका बहिष्कार करता है, नहीं जाता है तो इस पर मुझे कोई टिप्पणी नहीं करनी है। उन्होंने कहा कि सरकार कोई भी होती तो उसे इसे बनाने की जरूरत तो थी ही।
इसके साथ ही 19 विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन का विरोध किए जाने पर अब बीजेपी की भी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। इस पूरे मामले पर केंद्र केंद्र सरकार में मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये विपक्ष की तरफ से एक निराधार बहस उठाने का प्रयास मात्र है। ये कोई नई बात नहीं है, इसके आलावा ऐसा भी नहीं है कि इनके शासन काल में इनके प्रधानमंत्रियों के द्वारा ऐसे उद्घाटन नहीं किए गए हों। सिर्फ बीजेपी सरकार पर ही सवाल उठाने हैं तो ये सही मुद्दा नहीं है।