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सेंगोल राजशाही का प्रतीक, लोकतंत्र का नहीं, डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन का बयान

डीएमके के नेता टीकेएस एलंगोवन ने गुरुवार को कहा कि नई संसद में स्पीकर की सीट के पास पांच फीट लंबा राजदंड स्थापित करने के लिए सेंगोल के रूप में तैयार किया गया है। संगोल “राजशाही” का प्रतीक है, लोकतंत्र नहीं।

उन्होंने आगे कहा कि संगोल राजनीतिक दलों द्वारा नहीं बल्कि मठ द्वारा दिया जाता है।

एलंगोवन ने नए संसद भवन पर भी चिंता जताई और कहा, “जब हमारे पास पुरानी संसद खड़ी है तो वे पहली बार नया संसद भवन क्यों चाहते हैं?” कांग्रेस सहित कुल 20 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बिना भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय “राष्ट्रपति के उच्च कार्यालय का अपमान करता है, और संविधान के पत्र और भावना का उल्लंघन करता है”। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 28 मई को नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि उद्घाटन समारोह के लिए तिरुवदुथुरई, पेरूर और मदुरै सहित तमिलनाडु के 20 आदिनाम को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है।

तमिल में, आदिनम शब्द एक शैव मठ और ऐसे मठ के प्रमुख दोनों को संदर्भित करता है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘आदिनम इस कार्यक्रम में शामिल होंगे, वहां ओडुवर (शैव शास्त्रों और भजनों के विद्वान) होंगे जो थेवरम का पाठ करेंगे। 1947 में भी जब ओथुवर्गल ने कोलारू पथिगम का पाठ किया था तब राजदंड को नेहरू को सौंप गया था।’’

डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा, “राष्ट्रपति को संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए। वह संविधान की प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री संसद के सदस्यों में से एक हैं। वह पीएम के पद पर हैं। उन्हें राष्ट्रपति ने पीएम के रूप में नियुक्त किया था।”

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Chandan Kumar Pandey
Chandan Kumar Pandeyhttp://jankibaat.com
Chandan Pandey has 5 year+ experience in journalism field. Visit his twitter account @Realchandan21

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