प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नए संसद भवन का उद्घाटन किया और पूरे वैदिक विधि-विधान से पूजा और हवन करने के बाद नया संसद भवन देश की जनता को समर्पित किया। नए संसद भवन से संबोधित करते हुए बोले पीएम मोदी।
देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस अमृत महोत्सव में भारत के लोगों ने अपने लोकतंत्र को संसद के इस नए भवन का उपहार दिया है।आज सुबह ही संसद भवन परिसर में, सर्वपंथ प्रार्थना हुई है। मैं सभी देशवासियों को भारतीय लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई, 2023 का ये दिन, ऐसा ही शुभ अवसर है।
भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है, Mother of Democracy भी है। भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है।
गुलामी के बाद हमारा भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी। वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। आजादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए, विकास को नए आयाम गढ़ने का अमृतकाल है।
जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है, लेकिन जो चलता रहता है, उसका भाग्य भी चलता रहता है। इसलिए चलते रहो, चलते रहो। गुलामी के बाद हमारे देश ने कई उतार-चढ़ाव देखते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है। आजादी का यह अमृतकाल असंख्य सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है। इस अमृतकाल का आह्वान है- मुक्त मातृभूमि को नवीन पान चाहिए। नवीन पर्व के लिए नवीन प्राण चाहिए।’