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Odisha Train Accident: कोरोमंडल एक्सप्रेस का ड्राइवर भी बुरी तरह घायल, पूछताछ में कही ये बड़ी बात

रेलवे ने शुरुआती जांच में कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर को क्लीन चिट दे दी है। रेलवे ने रविवार (04 जून) को कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस अधिक गति से नहीं चल रही थी और उसे लूप लाइन में एंट्री करने के लिए हरी झंडी मिल गई थी, जिस पर एक मालगाड़ी खड़ी थी। इस तरह रेलवे ने ट्रेन के ड्राइवर की एक्सीडेंट में किसी भी भूमिका को नकार दिया है।

ओडिशा के बालासोर जिले में हुई तीन ट्रेनों की टक्टर में मरने वालों की संख्या 270 को पार कर गई है। वहीं, कई गंभीर यात्रियों को विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। रेलवे बोर्ड के दो प्रमुख अधिकारियों – सिग्नलिंग के प्रिसिंपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर संदीप माथुर और संचालन और व्यवसाय विकास की जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि दुर्घटना कैसे हुई होगी।

रेलवे सूत्रों के मुताबिक रेलवे बोर्ड की मेंबर जया वर्मा ने लोको पायलट के साथ हुई अपनी आखिरी बातचीत को याद करते हुए इस बात की जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि डिरेल होने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर ने उन्हें बताया था कि उन्हें ग्रीन सिग्नल मिला था, यानी चालक को रुकने का कोई संकेत नहीं मिला था। कुछ देर तक होश में रहने के बाद चालक की हालत गंभीर हो गई और वो फिलहाल अस्पताल में भर्ती है।

दुर्घटना का शिकार हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस में जीएन मोहंती लोको पायलट थे, जबकि उनके साथ हजारी बेहरा सहायक लोको पायलट के तौर पर मौजूद थे। दोनों ही इस दुर्घटना में घायल हो गए और फिलहाल अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। लोको पायलट के साथ हुई बातचीत को लेकर रेल बोर्ड की मेंबर जया ने बताया, टीटी ने मुझे बताया कि उसने पीछे से एक अजीब सी आवाज सुनी, उसे लगा कि कुछ रुकावट आ रही है, उसे समझ नहीं आया कि यह क्या है।

बालासोर रेल हादसे में जारी जांच के बात पता चला है कि सिग्नल इंटरफेरेंस में खामी के चलते ये हादसा हुआ था। जैसा चालक को सिग्नल मिला उसने ट्रेन को वैसे ही रूट पर चलाया। जिसके बाद मालगाड़ी से ट्रेन टकरा गई। रेलवे बोर्ड की तरफ से चालक को क्लीन चिट देते हुए कहा गया है कि ट्रेन अपनी तय स्पीड में चल रही थी और चालक ने कोई भी सिग्नल जंप नहीं किया था।

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