विपक्षी एकता के अगुवा बने नीतीश कुमार सहित उन नेताओं के लिए खुशखबरी है जो विपक्षी दलों की बैठक का इंतजार कर रहे थे। पटना में आगामी 23 जून को विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक का आयोजन होगा। इसमें केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने की रणनीति बनेगी। इसमें विपक्षी एकता में शामिल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कांग्रेस के बड़े नेता शामिल होंगे। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि इससे पहले 15 जून की तारीख तय हुई थी। उस दिन नेताओं को आने में असुविधा हो रही थी। इस कारण इस तारीख को रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से चल रहा मंथन खत्म हो चुका है। 23 जून को राजधानी पटना में विपक्षी दलों की महाबैठक होने वाली है।
इस कार्यक्रम में आने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सहमति दी है। इसके अलावा एमके स्टालिन, शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, दीपांकर भट्टाचार्य ने आने पर सहमति दी है। उन्होंने कहा कि तारीखों के अलावा उन नामों का भी ऐलान कर दिया गया जो पटना में होने वाली बैठक में शामिल होने वाले हैं। ध्यान रहे कि ये बैठक पहले 12 जून को होने वाली थी। नीतीश कुमार सितंबर 2022 से ही विपक्षी एकता की कवायद में जुटे हुए हैं। वे कई राज्यों की यात्रा कर चुके हैं। उसके अलावा कई मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं।
पटना में होगी बैठक
नीतीश कुमार पटना में होने वाली इस बैठक में विपक्षी दलों के साथ अपनी ताकत का एहसास कराएंगे। जानकारों की मानें, तो ये बैठक राजनीतिक शक्ति के प्रदर्शन की बैठक होने वाली है। प्रेस कांफ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा कि आयोजन पटना में ही होगा। नीतीश और लालू जी की कोशिश थी, सभी विपक्षी दल साथ आएं। नीतीश जी के साथ मैंने खुद कई नेताओं के साथ मुलाकात की। देश में जो तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है, उसे देखते हुए ये बैठक महत्वपूर्ण होगी। तेजस्वी ने कहा कि देश में इमरजेंसी लागू है, वो भी अघोषित। तेजस्वी यादव के मुताबिक इस बैठक में नवीन पटनायक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर शामिल नहीं होंगे।
विपक्षी एकता को लेकर नीतीश कुमार के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो बार-बार बीजेपी को 10 सीटों पर समेट देने का दावा करते हैं। नीतीश कुमार इससे पूर्व भी कह चुके हैं कि एक साथ एक मंच पर सब लोग आ जाएंगे तो ये लोग सौ सीटों पर सिमट जाएंगे। नीतीश कुमार ने बीजेपी को हराने के लिए महाराष्ट्र सहित दिल्ली और ओडिशा की यात्रा की है। उन्हें पश्चिम बंगाल और दिल्ली में केजरीवाल का रिस्पांस अच्छा मिला। ओडिशा के मुख्यमंत्री ने नीतीश से मुलाकात की थी लेकिन खुलकर समर्थन नहीं किया था। नीतीश कुमार ने जब से राहुल गांधी और खरगे से मुलाकात की है। उसके बाद से उनमें उत्साह दोगुना हो गया है।