मुंडा आदिवासियों के भगवान माने जाने वाले बिरसा मुंडा की आज 123वीं पुण्यतिथि है। उन्होंने 25 साल की कम उम्र में ही अंग्रेजों को खौफजदा कर दिया था। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अंग्रेजों ने 500 रुपय के इनाम की घोषणा की थी।
बिरसा मुंडा के ऊपर किताब लिखने वाले बीजेपी नेता तुहिन सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि आज भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि है। देश के सबसे शूरवीर क्रांतिकारियों में से एक भगवान बिरसा मुंडा का हमारी आज़ादी के संघर्ष में एक अद्वितीय योगदान रहा है।
तुहिन आगे कहते हैं कि आज ही के दिन सन 1900 में काफी रहस्यमय और संदिग्ध हालात में उनकी मृत्यु हुई थी और ऐसे प्रमाण हैं कि उन्हें जहर देकर मारा गया था। अंग्रेज काफी परेशान थे उनकी बढ़ती लोकप्रियता से, उनकी ताकत से और इस वजह से वो किसी ना किसी तरीके से उनको मारना चाहते थे।
तुहिन आगे कहते हैं कि केवल 25 वर्ष की आयु में पूरे पूर्वी भारत के क्षेत्र में अंग्रेजी साम्राज्य की जड़े हिला दी थी। दुख की बात यह है कि आज भी जिस गांव में उनका जन्म हुआ था, वहां के गांव वाले दरिद्रता में और अनभिज्ञता में जी रहे हैं। कई ऐसे भी हैं जिनको बिरसा मुंडा के जीवन और आंदोलन के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। मुझे लगता है वक्त आ गया है कि इन शूरवीरों को हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनाया जाए।
तुहिन ने आगे कहा कि मैंने यह निर्णय लिया है कि इस बार 15 अगस्त को इस बार का स्वतंत्रता दिवस मैं बिरसा मुंडा जी के गांव वालों के साथ मनाऊंगा। मेरे और अंकिता वर्मा के द्वारा लिखी गई किताब “बिरसा मुंडा” की कमसे कम 500 प्रतियां गरीब बच्चों में वितरित करूंगा। ये जरूरी है कि आज के आदिवासी बच्चे अपनी समुदाय का जो योगदान है आजादी के लड़ाई में उसके बारे में अवगत हों।
तुहिन सिन्हा ने अपने ट्विटर के माध्यम से लोगों से इस प्रयास के साथ जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को बिरसा मुंडा के गांव में, बिरसा मुंडा के परिवार वालों, गांव वालों के साथ इस स्वतंत्रता दिवस को हम और ज्यादा खास बनाते हैं और जिन लोगों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया है, उनके योगदान को उचित स्थान दिलाते हैं।