पश्चिम बंगाल में इस वक्त OBC वर्ग को लेकर माहोल गरमाया हुआ है, राष्ट्रीय ओबीसी वर्ग के चीफ हंसराज गंगाराम अहीर के आरोपों के बाद अब राष्ट्रवादी पत्रकार प्रदीप भंडारी ने ममता बनर्जी की तुष्टिकरण वाली राजनीति की पोल खोली है।
प्रदीप भंडारी ने ट्वीट करते हुए कहा “हिंदुओं को मुस्लिम इलाकों में न जाने के लिए कहने से लेकर, हिंदुओं के खिलाफ़ चुनाव के बाद होने वाली हिंसा को न रोकने तक, और सरकारी कर्मचारियों में मुस्लिम कर्मचारियों के प्रतिशत में अनुपातहीन बढ़त की रिपोर्ट्स तक, और अब ममता सरकार में ओबीसी वर्ग में 65% मुस्लिम जातियों को शामिल करने का प्रयास उनकी मुस्लिम तुष्टिकरण की नियत को दिखाता है।
आगे उन्होंने लिखा “जैसा की आए दिन भ्रष्टाचार की खबरें रोज़मर्रा की बात हैं, बंगाल में विभाजित हिंदू समाज ने इस नए खाके को स्वीकार कर लिया है जिसे अन्य धर्मनिरपेक्ष सरकार भविष्य में दोहराने की कोशिश कर सकती है।”
दरअसल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने पश्चिम बंगाल में विभिन्न समुदायों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा देने में ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार को ‘विसंगति’ को जल्द से जल्द दूर करना चाहिए. अहीर ने यहां कहा कि पश्चिम बंगाल में 179 ओबीसी जातियों में से 118 मुस्लिम समुदाय से हैं.
पात्र लोगों को मिले आरक्षण, तुष्टीकरण के लिए नहीं : अहीर
एनसीबीसी प्रमुख नेकहा, ‘इतनी सारी मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा देनेके पीछे तुष्टीकरण की राजनीति है.’ अहीर ने कहा कि आरक्षण पात्र लोगों के लिए होना चाहिए, न कि तुष्टीकरण की राजनीति के लिए. उन्होंने कहा कि वह किसी भी समुदाय के लिए ओबीसी आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं.
बंगाल में ओबीसी में शामिल 90% लोग मुस्लिम समाज के
उन्होंनेकहा कि ओबीसी समुदायों को दो श्रेणियों मेंबांटा गया है: श्रेणी- ए और बी. उन्होंनेकहा कि श्रेणी-ए में अधिक संख्या में पिछड़ी जातियों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमेंसे 90 प्रतिशत मुस्लिम समाज की जातियां हैं. अहीर ने कहा कि श्रेणी-बी में 90 प्रतिशत हिंदू जातियां हैं और इस श्रेणी में कम लाभ हैं. उन्होंने कहा, ‘मामले की समीक्षा की गयी है और विसंगतियों से राज्य सरकार को अवगत कराया गया है.’