प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 साल के राज में डिजिटल इंडिया ने भारत को पूरे देश को विश्व मानचित्र पर एक अलग पहचान दिलाई है। डिजिटल क्रांति ने देशवासियों के जीवन को सरल और सुगम बनाया है। भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के लाल किले से प्रधानमंत्री ने कहा था, “डिजिटल इंडिया का सपना भारत के गांवों से होकर गुजरेगा।”
डिजीटल क्रांति का व्यापार को आसान बनाने के अलावा इस क्षेत्र में कई तरह से बड़ी उपलब्धि है। वित्तीय समावेश प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि जब-जब देश में चुनौतियां आई हैं जैसे नोटबंदी हो, लॉकडाउन हो, तब-तब डिजिटल इंडिया के जितने प्रोजेक्ट हैं वो काम आए हैं। 100 करोड़ से भी ज्यादा जो आबादी है देश में उस स्तर पर डिजिटल होने के फायदे को पहुंचाने वाला भारत दुनिया में एकलौता देश है।
डिजिटल इंडिया मिशन की सफलता की सराहना करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गांवों की क्षमता का पूर्ण उपयोग करके डिजिटल इंडिया का सपना हासिल किया जाएगा।
डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत ने चीन को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। भारत का डिजिटल ट्रांजेक्शन 89.5 मिलियन रहा है। भारत टॉप पर है। भारत के बाद ब्राजील 29.2 मिलियन, चीन 17.6 मिलियन, थाईलैंड 16.5 मिलियन और साउथ कोरिया 8 मिलियन के साथ चौथे नंबर पर है।
डिजिटल पेमेंट से समय की बचत में काफी सुधार आया है। लोगों को कैश को संभालना ले-जाना संभव नहीं होता और कभी कभी जोखिम भरा भी होता है। एटीएम के लाइन में खड़े होना पैसा निकालके उसका भुगतान करना मुश्किल भरा होता है। इसीलिए इस सब गतविधियों से बचने के लिए डिजिटल ट्रांसक्शन एक आसानी प्रदान करता है।
डिजीटल क्रांति की वजह से रिश्वत लेंन-देन में काफी कमी आयी, इससे भ्रष्टाचार कम हुआ। डिजिटल ट्रांसक्शन की वजह से UPI की मदद से किसी को भी कभी भी रुपयों को ट्रांफर किया जा सकता है और रुपयों को खुले कराने की भी आवश्यकता नहीं है।
डिजिटल भारत की तस्वीर लेन-देन के लिए डिजिटल पेमेंट के इस्तेमाल के साथ भी दिखी। आज हर दूसरा स्मार्टफोन यूजर एक टैप की मदद से हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े सामान के लिए पे कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ दिन पहले अपने संबोधन में कहा था कि डिजिटल इंडिया के कारण सरकार आपके द्वार तक पहुंच गई है, सौ से अधिक सरकारी सेवाएं आज आनलाइन उपलब्ध हैं। पहले बैंक, गैस, स्कूल, राशन हर जगह लाइनें होती थीं, डिजिटल इंडिया में लाइनें खत्म हो गई हैं। गांव-शहर का अंतर खत्म हो गया है।