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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के सबसे बड़े नेता; जानिए अमेरिकी राजदूत ने प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे से पहले ऐसा क्यों कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून से अमेरिका के राजकीय दौरे पर होंगे। वैश्विक उथल-पुथल और बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच उनका यह चार दिवसीय दौरा बड़ा अहम है। यह पीएम मोदी का अमेरिका का पहला राजकीय दौरा भी होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि यह यात्रा वैश्विक स्तर पर बड़ा संकेत देने में कामयाब होगी। आखिर प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों को क्या उम्मीदें हैं और इस दौरे से क्या हासिल होगा? इन तमाम सवालों पर न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे ने भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी से बात की।

अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने इडिया टुडे से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे को लेकर दोनों देशों में उत्साह बना हुआ है। उनका यह दौरा ऐतिहासिक तो होगा ही लेकिन साथ में यह दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक पल होगा। यह दौरा वैश्विक चुनौतियों के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पीएम मोदी ऐसे समय में अमेरिका आ रहे हैं, जब एक और यूक्रेन लंबे समय से युद्ध का दंश झेल रहा है। दुनिया दो खांचों में बंट चुकी हैं तो दूसरी तरफ क्लाइमेट चेंज पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका आना महत्वपूर्ण होगा।

अमेरिका के शीर्ष अधिकारी और मंत्री एक के बाद एक भारत दौरे पर रहे हैं। आज पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है, ऐसे में पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे से क्या उम्मीदें हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए गार्सेटी ने कहा कि हम 4 ‘P’ पीस (शांति), प्रॉस्पैरिटी (समृद्धि), प्लेनेट (पृथ्वी) और पीपुल्स (लोगों) में विश्वास करते हैं।

पीएम मोदी का यह दौरा कई उम्मीदें लेकर आएगा कि किस तरह से दोनों देश मिलकर दुनिया में शांति ला सकते हैं। किस तरह दोनों देश समृद्धि ला सकते हैं। हम कैसे इस पृथ्वी को बचा सकते हैं और लोगों को एक-दूसरे के पास लेकर आ सकते हैं।

यह अमेरिका की पीएम मोदी की पहली स्टेट विजिट होगी। इस चुनौतीपूर्ण समय के बीच उनका दौरा क्या संकेत देगा। इस बारे में पूछने पर अमेरिकी राजदूत ने कहा कि वह (मोदी) दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के सबसे बड़े नेता हैं। भारत और अमेरिका दोनों ही देश मूल्यों (Values) को महत्व देते हैं।

दोनों देश का ध्यान मिलकर महिलाओं को सशक्त करने, गरीबों और असहायों को मुख्यधारा में लाने पर है।दोनों देश किस तरह मिलकर इस दुनिया को बेहतर बना सकते हैं। उनका यह दौरा उसी दिशा में एक कदम होगा।

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