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तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी अब न्यायिक हिरासत में; रिमांड रद्द करने की याचिका खारिज

तमिलनाडु सरकार में कैबिनेट मंत्री सेंथिल बालाजी के खिलाफ मंगलवार को धनशोधन मामले में ईडी की ओर से छापेमारी की गई। सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को सीबीआई जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली। जिसके बाद बीजेपी अध्यक्ष के अन्नमलाई ने सीएम एम के स्टालिन पर हमला बोला है। इसके साथ ही उन्होंने सीएम स्टालिन पर बड़े आरोप भी लगाए।

प्रधान सत्र न्यायालय ने तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की पंद्रह दिनों की रिमांड खारिज करने की याचिका खारिज कर दी। पुलिस हिरासत के लिए प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर न्यायाधीश ने अभी दलीलें नहीं सुनी हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सेंथिल बालाजी को सत्र न्यायालय ने 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

प्रवर्तन निदेशालय ने सत्र अदालत को बताया कि तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी नौकरी दिलाने का एक रैकेट चला रहे थे। उन्होंने अपने दफ्तर का दुरुपयोग करते हुए 2014-15 में परिवहन विभाग में अपने सहयोगियों की मदद से उम्मीदवारों से नौकरी के बदले रिश्वत वसूली।

सेंथिल की हिरासत मांगने के लिए ईडी ने कोर्ट को बताया कि बालाजी और उनकी पत्नी के बैंक खातों में इस तरह की धन वसूली से करीब 1.60 करोड़ रुपये जमा किए गए। अदालत ने इसके बाद सेंथिल को 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ईडी के मुताबिक सेंथिल नौकरी के बदले नकदी मामले का मुख्य संदिग्ध है।

ईडी ने अपनी दलील में दावा किया कि एक सरकारी पद पर रहते हुए बालाजी ने अपने कार्यालय का दुरुपयोग किया। उन्होंने एमटीसी/टीएनएसटीसी में जॉब रैकेट घोटाला किया। बालाजी और उनके सहयोगियों के खिलाफ ईडी का मामला 2011-15 के दौरान एआईएडीएमके सरकार में राज्य के परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल से जुड़ा है।

राज्य संचालित मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एमटीसी) और तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (टीएनएसटीसी) में अनियमितताएं हुईं। आरोप है कि सेंथिल ने अपने भाई आरवी अशोक कुमार, पीए बी शनमुगम और एम कार्तिकेयन नाम के व्यक्ति के साथ मिलकर सभी राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) के प्रबंध निदेशकों और परिवहन निगमों के अन्य अधिकारियों के साथ रिश्वत के लिए साजिश रची। परिवहन निगम में चालक, परिचालक, कनिष्ठ सहायक, कनिष्ठ अभियंता एवं सहायक अभियंता के रूप में (वर्ष 2014-15 के दौरान) भर्ती करने हेतु अभ्यर्थियों से यह रिश्वत ली गई।

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