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मणिपुर में हिंसा; विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह के घर पर फेंका गया पेट्रोल बम

मणिपुर में पिछले 50 दिन से प्रदर्शन और हिंसा का दौर जारी है। प्रदर्शन में अब तक करीब 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, हिंसक भीड़ ने गुरुवार की रात केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह के घर को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने उनके घर पर पेट्रोल बम भी फेंका। हालांकि घटना के दौरान केंद्रीय मंत्री वहां मौजूद नहीं थे। घटना के बाद उन्होंने लोगों की इस हरकत को पूरी तरह से अमानवीय बताया है।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है। इंफाल के कोरबा में में प्रदर्शन कर रही भीड़ गुरुवार की रात केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री आर के रंजन सिंह के घर पर पहुंची। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी पेट्रोल बम अपने साथ लेकर आए थे। उन्होंने घर के निचले और पहली मंजिल को आग के हवाले कर दिया।

मणिपुर के अधिकारियों ने बताया कि घटना के वक्त केंद्रीय मंत्री घर पर मौजूद नहीं थे। वह पूरी तरह से सुरक्षित है। इस आगजनी में उनके घर के ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल को नुकसान पहुंचा है। आरोपियों की गिरफ्तारी में पुलिस जुट गई है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

वहीं, घर में आग लगाने की सूचना पर केंद्रीय मंत्री की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा है कि मेरे गृह राज्य में जो हो रहा है उसे देखकर बहुत दुख होता है। मैं अब भी शांति की अपील करता रहूंगा। इस तरह की हिंसा में लिप्त लोग बिल्कुल अमानवीय हैं। मैं इस समय आधिकारिक काम के लिए केरल में हूं। शुक्र है कि कल रात मेरे इंफाल स्थित घर में कोई घायल नहीं हुआ। बदमाश पेट्रोल बम लेकर आए थे और मेरे घर के निचले और पहली मंजिल को नुकसान पहुंचाया है।

बता दें कि यह घटना ऐसे समय हुई जब सेना और असम राइफल्स के जवानों ने राज्य में हिंसा बढ़ने के बाद अपना अभियान तेज कर दिया है। सेना की टुकड़ियों ने गश्त बढ़ा दी हैं और जहां भी अवरोध लगाए गए थे, उन्हें हटा दिया गया है। सेना ने एक ट्वीट में कहा कि हाल में हिंसा में वृद्धि के बाद सेना और असम राइफल्स के अभियान में तेजी लाई जा रही है।

राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। मणिपुर के 11 जिलों में कर्फ्यू लागू है, जबकि इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं।

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