टीएमसी ने पंचायत चुनाव से पहले हिंसा के मद्देनजर राज्य में ‘शांति कक्ष’ खोलने के फैसले को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर निशाना साधा है। टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कहा कि राज्यपाल अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ की तरह काम कर रहे हैं।
सेन ने कहा कि बोस ने भाजपा के प्रवक्ता और प्रतिनिधि के रूप में काम करना शुरू कर दिया है। यह टिप्पणी राज्यपाल द्वारा जनता की शिकायतों को दूर करने के लिए कोलकाता में राजभवन में एक ‘शांति कक्ष’ खोले जाने के बाद आई है। पीस रूम उचित निवारण के लिए राज्यपाल और राज्य चुनाव आयुक्त को शिकायत भेजेगा।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सेन ने कहा कि हिंसा की घटनाएं 341 के 3-4 ब्लॉक में ही हुईं। उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणा के बाद कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के अधीन आ जाती है और इसमें राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं होती है।
उन्होंने न्यूज़ एजेंसी ANI पश्चिम बंगाल के 341 ब्लॉक में से बमुश्किल 3-4 ब्लॉक ऐसे हैं जहां इस तरह की घटनाएं हुईं… चुनाव की घोषणा के बाद कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के अधीन आती है। न तो राज्यपाल और न ही कोई और कानून से ऊपर है… पश्चिम बंगाल में इस ‘पीस रूम’ की जरूरत नहीं है। वह चुनाव के समय ऐसा नहीं कर सकते। ऐसा लगता है कि धीरे-धीरे, इस राज्यपाल ने अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ का अनुसरण करना शुरू कर दिया है और भाजपा के प्रवक्ता और प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया है।
रविवार को, टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की और कहा कि चुनावों की घोषणा के बाद राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है। रॉय ने कहा कि चुनाव संबंधी हिंसा के मामलों को देखना राज्य चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए टीएमसी सांसद ने कहा कि राज्य में हुई आगजनी और हिंसा में उनकी पार्टी के तीन कार्यकर्ता भी मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन है और इसमें राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है। टीएमसी के 3 लोग मारे गए हैं … कानून और व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन है, यह राज्यपाल का काम नहीं है। चुनावी हिंसा को देखना राज्य चुनाव आयुक्त का काम है। चुनावों की घोषणा के बाद राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं होती है।