प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से चीन की बौखलाहट बड़ गई है, इसका अंदाजा यूएन में आतंकवाद को लेकर हुई एक कार्रवाई से ही पता चलता है. भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी और मुबंई हमले का मास्टरमाइंड को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन चीन ने हर बार की तरह इस बार भी अड़ंगा लगा दिया. जिसको लेकर भारत ने चीन समेत उन सभी देशों को आड़े हाथों लिया है, जो पाकिस्तान में पनप रहे आतंकियों के हिमायती बने बैठे हैं.
यूएन असेंबली में भारत की ओर से ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रकाश गुप्ता ने चीन का बिना नाम लिए हुए कहा कि, सभी देशों के प्रस्ताव के बाद भी साजिद मीर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया जा सका. इससे यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद से निपटने के लिए पूरी संरचना में कुछ खामी.
भारत ने कहा कि अगर हम उन स्थापित आतंकवादियों को वैश्विक स्तर पर महज इसलिए बैन नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनसे हमारे छोटे हित जुड़े हुए हैं तो सही अर्थों में हमारे लिए आतंकवाद से लड़ने का कोई भी मतलब नहीं रह जाता है. शायद हमारी इच्छाशक्ति आतंकवाद से लड़ने की नहीं है.
भारत ने साजिद मीर का ऑडियोटेप चलाकर 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भूमिका का विस्तार से खुलासा किया था. ऑडियो क्लिप में वह मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के दौरान चाबाड हाउस पर हमले का निर्देश देते हुए सुनाई दे रहा है.
साजिद मीर 2008 के आतंकवादी हमलों में शामिल था. बीते दिनों भारत और अमेरिका ने मिलकर 26/11 के आरोपी लश्कर आतंकवादी साजिद मीर को ‘वैश्विक आतंकवादी’ के रूप में नामित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया था, जिसे चीन ने रोक दिया. हालांकि पहले भी चीन कई बार भारत के प्रस्तावों पर अड़ंगा डाल चुका है.