बिहार की राजधानी पटना में विपक्ष के एक दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों ने अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने का शुक्रवार को संकल्प लिया। विपक्षी दलों की अगली बैठक जुलाई में शिमला में होगी, जहां साझा एजेंडा तय करने के साथ ही राज्यवार रणनीति पर फैसला होगा।
वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने विपक्षी एकजुटता की इस पूरी कवायद पर यह कहकर एक तरह का प्रश्नचिह्न भी लगा दिया कि दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस के अपना रुख स्पष्ट करने तक वह उसकी मौजूदगी वाली किसी भी विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होगी।
आप ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह दिल्ली के लोगों के साथ है या फिर मोदी सरकार के साथ खड़ी है।
करीब चार घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद विपक्षी नेता मीडिया से मुखातिब हुए, लेकिन आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल संवाददाता सम्मेलन में नहीं पहुंचे। केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा बैठक के तत्काल बाद पटना से दिल्ली रवाना हो गए।
आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में कहा है कि केंद्र के काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक खतरा है। यदि इसे चुनौती न दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में भी अपनाई जा सकती है। इसका परिणाम यह होगा कि जनता द्वारा चुनी गई दूसरे राज्य सरकारों से भी सत्ता छीनी जा सकती है। इसलिए इस काले अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकना बहुत ही जरूरी है।