मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से मंगलवार को पीएम नरेन्द्र मोदी ने पसमांदा मुस्लिमों की बात की. बीजेपी के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हए पीएम ने पसमांदा मुस्लिमों का जिक्र किया. जिसके बाद पसमांदा मुस्लिम समुदाय ने पीएम मोदी के बयान का स्वागत किया है.
पसमांदा मुस्लिम एक्टिविस्ट और लेखक फैयाज़ अहमद फैजी ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया. उन्होंने ट्विटर पर पीएम मोदी का बयान साझा करते हुए लिखा, ‘माननीय प्रधानमंत्री जी मैं इस समय बेहद भावुक हूँ. नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने भारतीय मूल के मुसलमानों के दुख-दर्द की बात की, जिन्हें हम देशज पसमांदा कहते हैं’
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पीएम मोदी ने पसमांदा मुस्लिमों के लिए क्या कहा
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘उनके (मुस्लिम) ही धर्म के एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का इतना शोषण किया है, लेकिन इसकी देश में कभी चर्चा नहीं हुई. उनकी आवाज सुनने को भी कोई तैयार नहीं. पीएम मोदी ने कहा कि जो पसमांदा मुसलमान है, उन्हें आज भी बराबरी का दर्जा नहीं मिला है. उन्होंने मोची, भठियारा, जोगी, मदारी, जुलाहा, लंबाई, तेजा, लहरी, हलदर जैसी पसमांदा जातियों का जिक्र करते हुए कहा कि इनके साथ इतना भेदभाव हुआ है जिसका नुकसान उनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा.
पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी सरकार ने उन्हें भी पक्का घर, मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा दे रही है. हम उनके पास भी विश्वास के साथ जाएंगे और उनके भ्रम दूर करेंगे. पीएम मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) और तीन तलाक का भी जिक्र किया. उन्होंने विपक्ष पर यूसीसी को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि हम उनका हर भ्रम दूर करने की कोशिश करेंगे.
कौन हैं पसमांदा मुस्लिम?
मुसलमानों में पसमांदा मुस्लिम सामाजिक और आर्थिक के साथ ही राजनीतिक और शैक्षणिक रूप से भी काफी पिछड़े हैं. देश में मुसलमानों की कुल आबादी में करीब 85 फीसदी पसमांदा हैं जबकि15 फीसदी उच्च जाति के मुसलमानों की आबादी है. दलित और बैकवर्ड मुस्लिम, पसमांदा वर्ग में आते हैं. गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय में भी हिंदुओं की ही तरह जाति व्यवस्था है. पसमांदा मूल रूप से फारसी का शब्द है, जिसका मतलब होता है वो लोग जो सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हैं.
अगड़ी मुस्लिम जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत हैं. राजनीति की बात करें तो इस क्षेत्र में भी इन्हीं अगड़ी मुस्लिम जातियों का वर्चस्व रहा है. पसमांदा समाज हमेशा हाशिए पर ही रहा है और यही वजह है कि पीएम मोदी बार-बार पसमांदा मुसलमानों की बात कर रहे हैं. बीजेपी को लगता है कि मुस्लिमों में बहुसंख्यक पसमांदा उपेक्षित रहा है और इसे कल्याणकारी सरकारी योजनाओं का लाभ देकर आसानी से करीब लाया जा सकता है.