ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा यानि बकरीद इस साल 29 जून को मनाई गई। बकरीद इस्लाम के सबसे पवित्र त्योहारों में एक है। इस्लाम में साल भर में दो ईद मनाई जाती हैं। एक को ‘मीठी ईद’ कहा जाता है और दूसरी को ‘बकरीद’।
उत्तर प्रदेश में नमाज और कुर्बानी को लेकर पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। सुरक्षा के लिहाज से सुबह से ही सभी मस्जिदों के बाहर भारी फोर्स तैनात रही। नमाजियों की सहुलियत के लिए शहर भर में जगह-जगह पुलिस फोर्स तैनात की गई थी। पुलिस की तैयारियों की वजह से ही सबकुछ सकुशल संपन्न हुआ।
बकरीद में पहली बार उत्तरप्रदेश में कही भी सड़क पर नमाज़ नही पढ़ी गई। पूरे जिलों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध रहे इसका परिणाम रहा कि कुर्बानी भी पूर्व निर्धारित जगह पर ही हुई।
आपको बता दें कि 1 से 2 दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था और आने वाले त्योहार पर श्रद्धालुओं के लिए किए जा रहे प्रबंधों की समीक्षा की थी और वरिष्ठ अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए थे कि आस्था को सम्मान दें, मगर यह भी सुनिश्चित करें कि कहीं कोई नई परंपरा आरंभ ना हो। बकरीद पर कहीं सड़क पर नमाज ना पढ़ी जाए और कुर्बानी अपने स्थल पर ही हो।
मुख्यमंत्री योगी ने बकरीद, मांस, मुहर्रम व अन्य त्योहारों पर पुलिस प्रशासन को अतिरिक्त संवेदनशीलता बरतने का निर्देश दिया था। प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने मुस्लिम धर्मगुरुओं और नागरिकों से संवाद कर जो व्यवस्था बनाई गई। उसका परिणाम रहा कि कहीं भी सड़क पर नमाज अदा नहीं की गई।
यह दर्शाता है कि किस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ है। एक पुराना समय भी था जब समाजवादी पार्टी की सरकार में इस तरह के निर्देश को कोई मानता नहीं था और लोग प्रशासन के निर्देश के खिलाफ जाकर काम करते थे और कुछ होता भी नहीं था। लेकिन अब योगी आदित्यनाथ ने प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि कोई भी अगर कानून तोड़े, तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें, भले हो वह किसी पार्टी का हो। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने पहले ही कह दिया था कि अगर उत्तर प्रदेश को नंबर वन प्रदेश बनाना है तो कानून व्यवस्था में सुधार करना होगा और इसका ही नतीजा है कि आज जो भी प्रशासन फैसला लेता है, उसके समर्थन में लोग भी खड़े होते हैं।