दिलीप वाल्से पाटिल और छगन ,भुजबल का रविवार को एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के हलकों में एक झटके के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि दोनों को शरद पवार का कट्टर समर्थक माना जाता है।
अजित पवार ने पहले एकनाथ शिंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जबकि वाल्से पाटिल और भुजबल सहित आठ अन्य को मंत्री बनाया गया था। यह घटनाक्रम NCP में विभाजन के बाद आया है।
भुजबल माली समुदाय से हैं और 1991 में इसे छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह एक तेजतर्रार शिवसेना नेता थे। 1999 में, जब पवार ने कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी बनाई, तो भुजबल, जो उस समय महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता थे, उन्होंने NCP का दामन थाम लिया। छगन भुजबल महाराष्ट्र के एक बड़े ओबीसी वोट बैंक में अपना वर्चस्व रखते हैं और उनके आने से शरद पवार गुट को नुकसान होने की पूरी संभावना है।
वहीं अजित पवार को विदर्भ के एक बहुत बड़े मराठी नेता के रूप में देखा जाता है जिसका महाराष्ट्र के वोटर तक पहुंच हो। इस वजह से अजित पवार का बीजेपी के साथ आना बीजेपी को फायदा करेगा और इस वजह से उनकी मराठा वोटरों में पैठ बढ़ेगी। वहीं अजित पवार को NCP में जमीन से जुड़े हुए नेता के रूप में जाना जाता था और इस वजह से शरद पवार गुट को इसका नुकसान हो सकता है।
आपको बता दें कि इस घटनाक्रम से विपक्षी एकता से भी कई तरह की प्रक्रिया आ रही है। जहां एक तरफ केंद्रीय कांग्रेस में से सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने शरद पवार से स्थिति का जायजा लिया है तो वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस ने अभी से ही विधानसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा उसपर सवाल उठना शुरू कर दिया है क्योंकि अभी NCP से विपक्ष का नेता था और अभी ऐसा कहा जा रहा है कि तकरीबन 30 विधायक विपक्ष से पक्ष में जा चुके हैं।