राष्ट्रवादी कांग्रेस में फूट को चुकी है। अजित पवार अपने 8 अन्य विधायकों के साथ मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। साथ ही अजित पवार 30 से ज्यादा विधायकों के साथ बीजेपी – शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। लेकिन कहा जा रहा है की शरद पवार के लिए ये बगावत दोहरी मार की तरह है। क्योंकि एक ओर उन्हें अपने भतीजे की बगावत का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी ओर उनके सबसे करीबी कहे जाने वाले प्रफुल्ल पटेल भी उनके खिलाफ जाते नजर आए।
अभी 23 जून को ही पटना में विपक्ष की मीटिंग हुई थी। जिस मीटिंग में प्रफुल्ल पटेल शरद पवार के साथ खड़े नजर आए थे। लेकिन सिर्फ 7 दिन बाद ही प्रफुल्ल पटेल अब शरद पवार के खिलाफ नजर आ रहे हैं।
वैसे तो प्रफुल्ल पटेल ने शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी है, लेकिन जब उनसे मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा, ”हम एक पार्टी हैं और शरद पवार हमारे नेता हैं.”
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बेहद करीबी माने जाने वाले पटेल का कहना है कि पार्टी में पिछले कुछ समय से चर्चा चल रही थी कि महाराष्ट्र में हमें भाजपा के साथ जाना चाहिए और एनडीए का हिस्सा बनना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस मुद्दे पर उनकी शरद पवार से भी बात हुई थी। पार्टी के कुछ नेताओं ने भी एनडीए में शामिल होने के पार्टी के नेताओं के विचारों से पवार को अवगत कराया था। लेकिन पवार नहीं माने।
आपको बता दें की शरद पवार ने हाल ही में प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। पटेल का कहना है कि कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर एनसीपी ने महाविकास आघाड़ी बनाई और सरकार का गठन किया था, तो वह गठबंधन भी स्वाभाविक नहीं था। उन्होंने कहा कि हम भाजपा के खिलाफ बहुत कुछ कहते हैं। लेकिन भाजपा और शिवसेना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, बल्कि शिवसेना ज्यादा कट्टर है। इसके बावजूद एनसीपी ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई। उन्होंने कहा कि राजनीति में वक्त के हिसाब से फैसले लिए जाते हैं।
फैसले को सबके सामने रखेंगे
अजित पवार गुट ने पांच जुलाई को पार्टी की बैठक बुलाई है। शरद पवार ने भी उसी दिन पार्टी की बैठक बुलाई है। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि फैसला बहुमत के साथ हुआ है, लेकिन बैठक में इसे और भी व्यापक स्तर पर रखा जाएगा और लोगों की मंजूरी ली जाएगी। पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले के बारे में उन्होंने कहा कि उनके साथ पारिवारिक संबंध हैं। पार्टी में कुछ भी हो संबंध बने रहेगे।