चंद्रयान-3 मिशन से एक दिन पहले इसरो वैज्ञानिकों की एक टीम गुरुवार को आंध्र प्रदेश के तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर पहुंची. टीम ने अपने साथ चंद्रयान-3 का एक छोटा मॉडल भी लिया था। इस दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने पूजा अर्चना की.
राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (NARL) के निदेशक अमित कुमार पात्रा, चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक वीरमुथु वेल, चंद्रयान-3 की एसोसिएट परियोजना निदेशक कल्पना कालहस्ती और इसरो के अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक भी मंदिर में भगवान तिरुपति का आशीर्वाद लेने वाली टीम में शामिल थे.
इस बार इसरो के वैज्ञानिकों ने कई परीक्षणों के बाद लैंडर के डिजाइन को अपग्रेड किया है, ताकि इस बार मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया जा सके. इसके लिए पिछली बार की तुलना में लैंडर को मजबूत बनाया गया है. इसमें बड़े और शक्तिशाली सौर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. चंद्रयान 3 की स्पीड को निर्धारित करने के लिए अतिरिक्त सेंसर लगाए गए हैं. कुल मिलाकर इस मिशन में हर गलती की गुंजाइश को खत्म करने का प्रयास किया गया है.
चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जाएगा. LVM-3 एक तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसमें पहले चरण में तरल ईंधन, ठोस ईंधन द्वारा संचालित दो स्ट्रैप-ऑन मोटर, तरल ईंधन द्वारा संचालित दूसरा और क्रायोजेनिक इंजन होता है. ये भारी सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ने की क्षमता रखता है. ये रॉकेट करीब 143 फीट ऊंचा है. 642 टन वजनी है.