यमुना में उफान से राजधानी दिल्ली में बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है। यमुना का जलस्तर 45 साल के रिकॉर्ड को तोड़ चुका है। राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर गुहार लगाई है।
अरविंद केजरीवाल ने गृहमंत्री को लिखे पत्र में जी-20 की दुहाई देते हुए कहा कि दिल्ली में बाढ़ की विकराल स्थिति से दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। उन्होंने गृह मंत्री से अपील की कि वो हरियाणा के हाथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी को सीमित करें ताकि यमुना के उफान को कंट्रोल किया जा सके।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र के बारे उन्होंने खुद ट्वीट कर जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट किया कि CM अरविंद केजरीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। जिसमें लिखा गया है कि दिल्ली में 3 दिन से बारिश नहीं हुई, फिर भी यमुना का स्तर बढ़ रहा है। हथिनी कुंड से लगातार पानी छोड़ने की वजह से यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है।
पत्र में दिल्ली सीएम ने गृह मंत्री से गुहार लगाई कि हथिनी कुंड से सीमित स्तर पर पानी छोड़ा जाए, जिससे यमुना का जलस्तर ना बढ़े। यमुना का स्तर 1978 के बाद पहली बार 207.55 मीटर पहुंचा है। CWC के अनुसार आज रात यमुना का स्तर 207.72 मीटर होगा। इसका मतलब है कि यमुना 1978 में आई विकराल बाढ़ की स्थिति से ऊपर पहुंच जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ हरियाणा के कई जिले भारी बारिश के कारण इस समय बाढ़ की चपेट में हैं। प्रदेश की नदियां उफान पर हैं। इस दौरान पानीपत में यमुना नदी के टूटे तटबंध का जायजा लेने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला मौके पर पहुंचे।
तटबंध का जायजा लेने के बाद डिप्टी सीएम ने लोगों से कहा कि सरकार के पास कोई समाधान नहीं है। दुआ करो यमुना का जलस्तर कम हो जाए। उन्होंने बताया कि पहले से यमुना का जलस्तर कम हुआ है। बाढ़ का पानी अभी रिहायसी इलाके में नहीं पहुंचा है।
इस दौरान पत्रकारों ने केजरीवाल द्वारा दिल्ली में बढ़े यमुना के जलस्तर को लेकर दिए गए बयान का किया तो भड़क गए, उन्होंने कहा कि केजरीवाल की आदत सारी चीजें पड़ोसी राज्यों पर डाल दो। अगर हर चीज में हरियाणा दोषी है तो केजरीवाल हरियाणा में पैदा ही क्यों हुए। दुष्यंत ने केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा कि पड़ोसी राज्यों से संबंध अच्छे रखने चाहिए। क्राइसिस के वक्त लांछन लगाने के बजाय स्तिथि से निपटने की सोचनी चाहिए।