मानसून सत्र के शुरू होते ही बीजेपी नेताओं ने राजस्थान और बंगाल पर कांग्रेस और विपक्ष से सवाल पूछे, उन्होंने पूछा क्या महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर विपक्ष पक्षपात कर रहा है? क्या ये सिर्फ़ एक मुद्दा है, क्या हम इस समस्या पर बातचीत नहीं कर सकते।
भारत का संविधान न केवल महिलाओं को समानता प्रदान करता है बल्कि राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेदभाव के उपाय अपनाने का अधिकार भी देता है ताकि उनके सामने आने वाले संचयी सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक नुकसान को दूर किया जा सके।
बताते चलें कि राजस्थान में दुष्कर्म और महिला हिंसा को लेकर अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि राजस्थान पिछले तीन साल से महिला हिंसा के मामलों में पहल नंबर पर है। प्रदेश में जनवरी, 2020 से अप्रैल, 2022 तक दुष्कर्म के 13,890 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 11,307 दुष्कर्म की घटनाएं नाबालिग लड़कियों के साथ हुई है।
अनुच्छेद 14 पुरुषों और महिलाओं को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। जबकि अनुच्छेद 15 धर्म, नस्ल, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी भी नागरिक के खिलाफ भेदभाव पर रोक लगाता है, अनुच्छेद 15(3) एक विशेष प्रावधान बनाता है जो राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेदभाव करने में सक्षम बनाता है। इसी प्रकार अनुच्छेद 16 सभी नागरिकों के लिए सार्वजनिक नियुक्तियों के मामले में अवसरों की समानता प्रदान करता है।