Voice Of The People

संसद के मानसून सत्र में मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है केंद्र सरकार, क्या निकल पाएगा कोई हल?

संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है। मोदी सरकार संसद के मॉनसून सत्र में मणिपुर में हुई जातीय हिंसा पर चर्चा के लिए सहमत हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मणिपुर हिंसा को लेकर पहले से ही केंद्र सरकार पर हमलावर है। वहीं बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुए मणिपुर के एक वीडियो ने आग और भड़का दी है। इस वीडियो में दिख रहा है की कुछ लोगों की भीड़ दो महिलाओं को नग्न करके उनकी परेड करा रही है। कथित तौर पर ये भी कहा जा रहा है कि उन दोनो महिलाओं का बलात्कार का हत्या कर दी गई है। हालांकि वीडियो 4 मई का है।

ऐसे में मॉनसून सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है। संसद के मॉनसून सत्र से पहले व्यापार सलाहकार समिति की बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि सरकार संसद में सभी मामलों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। इसमें मणिपुर में 2 महीने तक चली जातीय हिंसा भी शामिल है। इस 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 80 से अधिक लोग मारे गए हैं।

संसद के मॉनसून सत्र से पहले बुधवार को सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें भी कांग्रेस ने मंहगाई और मणिपुर हिंसा समेत कई मुद्दों पर चर्चा होने की बात रखी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर हिंसा और महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष कोई समझौता नहीं कर सकता। संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार की है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश के स्थान पर लाए जाने वाले विधेयक का विरोध करेगी, क्योंकि यह एक चुनी हुई सरकार के संवैधानिक अधिकारों पर अंकुश लगाने वाला है। जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस संसद चलाने के लिए रचनात्मक सहयोग करने के लिए तैयार है, लेकिन केंद्र सरकार को ‘माई वे या हाईवे’ वाला रवैया छोड़ना होगा। जयराम रमेश ने कहा कि मॉनसून सत्र में मणिपुर के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब और गृहमंत्री अमित शाह की जवाबदेही तय करने की मांग भी की जाएगी।

मणिपुर में कैसे शुरू हुआ विवाद?

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ये दोनों एसटी में आते हैं। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए. विवाद इसी को लेकर शुरू हुआ। 3 मई से राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा की घटनाएं हुईं।

SHARE
Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

Must Read

Latest