टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी बीते बुधवार को मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था कि उन्हें इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में बोलना चाहिए।
उन्होंने मानसून सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले एक ट्वीट में कहा, यह “मन की बात” के बजाय “मणिपुर की बात” का समय है। ओ’ब्रायन की टिप्पणी उस दिन आई है जब टीएमसी का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल संघर्षग्रस्त राज्य की स्थिति का जायजा लेने के लिए इंफाल पहुंचा।
सूत्रों ने कहा कि बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के दौरान मणिपुर पर विस्तार से चर्चा की गई और मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का निर्णय लिया गया। 3 मई से अब तक मणिपुर में जातीय हिंसा में 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि मन की बात में पहले मणिपुर की बात में शामिल होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पीएम को अपना राजधर्म भी सही से निभाना चाहिए।
वहीं दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सीएम ने कहा था कि मणिपुर के अंदर शांति बहाल की जाए, जैसे भी की जाए, जिस भी तरीके शांति बहाल की जाए, ये एक ऐसा सेंसटिव मामला है, जिसमें मैं कोई राजनीति नहीं करना चाहूंगा लेकिन कुछ भी करके प्रधानमंत्री जी को सामने आना पड़ेगा। अगर देश के अंदर समस्या चल रही है और प्रधानमंत्री कमरे के अंदर चिटकनी मारकर बैठ जाएगा तो फिर देश कहां जाएगा, कौन संभालेगा देश को? प्रधानमंत्री जी को सामने आकर और इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी और कुछ न कुछ कठोर इफेक्टिव कदम उठाने पड़ेंगे।