अमेरिकी लेखक और भरत-अमेरिका संबंधों के जानकार गैरिसन मोराटो ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर कहा है की “भारत पहले से ही एक डिप्लोमेटिक सुपर पावर है।”
उन्होंने अपने एक पुराने ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा “भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसके फोन कॉल का उत्तर DC और मॉस्को दोनों जगह दिया जा सकता है। इसका नाम यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ में भुनाया गया है। यह रोटेशनल यूएनएससी प्रेसीडेंसी है जिसका लैटिन अमेरिका के साथ-साथ ASEAN ने भी स्वागत किया है। संक्षेप में कहें तो, भारत पहले से ही दुनिया की डिप्लोमेटिक सुपर पावर है।”
India is the only nation that can have its phone calls answered in both DC and Moscow; it’s name toasted at the EU and the African Union; it’s rotational UNSC Presidency cheered as much by Latin America as by #ASEAN.
In short, India is already the world’s diplomatic superpower. https://t.co/2dcHDx9V9f
— Garrison Moratto (@GarrisonMoratto) July 27, 2023
गैरिसन ने 8 मई को एक ट्वीट करते हुए लिखा था “चूंकि दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते राज्य अफ्रीका में हैं। इसका मतलब यह है कि ‘भविष्य के महाद्वीप’ पर ध्यान केंद्रित करने वाले लाखों लोगों की नई दिल्ली के साथ सहयोग करने की अधिक संभावना होगी। जितना भारत ने अपने पूर्व शासक ब्रिटेन के साथ कभी नहीं किया था।”
Since the world’s fastest growing states are in Africa, this means that 100s of millions of people concentrated on that ‘continent of the future’ will be more likely to cooperate w/New Delhi than they ever did w/their former overlords Britain, or modern creditors US/China (19/x) pic.twitter.com/4QAN3yLu7D
— Garrison Moratto (@GarrisonMoratto) May 7, 2023
ये बात इसलिए भी भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि रूस और अमेरिका दोनो कह चुके हैं की दोनो देशों के म्यूचुअल संबंधों वाले देशों से कोई संबंध नहीं रखेंगे। जबकि भारत के संदर्भ में ये बात लागू नहीं होती है। भारत और रूस के बीच संबंध हमेशा से ही बेहतर रहे हैं। साथ ही जिस तरह से पीएम मोदी को हाल ही में अमेरिका में एक रॉकस्टार ट्रीटमेंट मिला है उससे भारत और अमेरिका के संबंध भी और ज्यादा मजबूत हुए हैं।
1 जुलाई को कोलकाता में एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी कहा था कि “विशेष संबंधों में बंधकर रहना भारत के हित में नहीं है। विदेश मंत्री विभिन्न देशों के साथ भारत के राजनयिक संबंधों को लेकर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रूस के साथ भारत के पुराने मजबूत संबंध हैं, लेकिन यह अमेरिका के साथ समान रूप से मजबूत संबंधों के लिए बाधा नहीं बनने चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कद को लेकर कहा कि आज पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ईस्ट वेस्ट से लेकर नार्थ साउथ सभी धरों के साथ समान रूप से खड़े हैं। आज के दौर में भारत को मजबूत लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में जाना जाता है। इसलिए हमारी प्रौद्योगिकी प्रासंगिकता विकसित दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जयशंकर की यह टिप्पणी भारत-रूस संबंधों की सराहना और अशांति के बावजूद स्थिर बताने के कुछ दिनों बाद आई है।
उन्होंने आगे कहा कि रूस के साथ हमारे संबंध उथल-पुथल के बीच भी स्थिर बने हुए हैं। अन्य देशों से संबंधों की तुलना में भारत और रूस के संबंध अधिक स्थिर हैं। भारत में रूस को लेकर लोगों में अलग ही भावना है। रूस और अमेरिका के साथ भारत के मजबूत संबंध कोई बाधा नहीं है। ये दोनों देश हमें यह नहीं बता सकते कि हमें जापान या किसी और देश का दोस्त बनना है या नहीं।