भारत ने सितंबर 2018 में प्रमुख स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) शुरू करके आर्थिक स्थिति से परे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई थी।
नीति आयोग के सदस्य विनोद के पॉल के अनुसार यह योजना 12 करोड़ से अधिक परिवारों (जनसंख्या का निचला 40 प्रतिशत) को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करती है, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना बनाती है। योजना की सफलता ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (जो प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेह हैं क्योंकि यह राज्य का विषय है) को इसे अधिक लाभार्थियों तक विस्तारित करने के लिए प्रेरित किया। योजना के तहत लगभग 15.5 करोड़ परिवार शामिल हैं और राज्यों की योजनाएं इसके साथ मिलकर लागू की जा रही हैं। यह भारत की आधी आबादी के लिए संभावित कवरेज के बराबर है। ग्यारह राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने अपनी-अपनी आबादी के 100 प्रतिशत कवरेज पर जोर दिया है।
इस योजना ने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और सेवा लेने वालों के बीच की कमी को पाटने की कोशिश की है। स्वास्थ्य सेवा का व्यावसायीकरण आम लोगों को नुकसान पहुंचाता है। आयुष्मान कार्ड 5 लाख रुपये के प्री-पेड कार्ड की तरह है, जिसका उपयोग 27,000 से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए किया जा सकता है।
अब तक 24 करोड़ से ज्यादा आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। योजना की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) को राज्यों में अपने समकक्षों के साथ हर संभावित लाभार्थी को आयुष्मान कार्ड प्रदान करने का लक्ष्य रखना चाहिए। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लाभार्थी सूची में शामिल किसी व्यक्ति के पास कार्ड न होने पर उसे सेवा से वंचित नहीं किया जाएगा।
इस योजना ने पिछले पांच वर्षों में 66,284 करोड़ रुपये के 5.39 करोड़ से अधिक लोगों बचाया है। यदि लाभार्थियों ने योजना के दायरे से बाहर समान देखभाल का लाभ उठाया होता, तो उपचार की कुल लागत लगभग दो गुना अधिक होती। इससे 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई है। वर्तमान में, इस योजना के तहत प्रतिदिन, लगभग 45,000 लोगों को अस्पताल में इलाज मिल रहा है।