स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए लगभग हर वर्ग की बात उठाई है। उन्होंने किसानों और जवानों सबकी बात की। इस मौके पर उन्होंने एक अहम बात इस विश्वकर्मा जयंती को लेकर किया। कहा कि हम 13-15 हजार करोड़ रुपयों से विश्वकर्मा योजना की शुरुआत करेंगे जो परंपरागत औजारों से काम करने वाले भारत के लाखों व्यवसायियों और कारीगरों के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। दरअसल भारत गांवों का देश है, जहां पर नाई, राजमिस्त्री, लुहार, कुम्हार, मोची और बढ़ई आदि पारंपरिक तौर पर अपना काम करते आए हैं, लोगों को सेवा देते आए हैं। लेकिन सरकार की ओर से अब तक इन कारीगरों के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में विश्वकर्मा योजना गेमचेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि ये योजना सीधे भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले वर्ग को फायदा पहुंचाने जा रही है।
विश्वकर्मा योजना अगले महीने सितंबर में लॉन्च होगी। पीएम ने कहा कि हमारी योजना इसे 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के मौके पर इस योजना को लॉन्च करने की है। विश्वकर्मा जयंती पर सभी कुशल मजदूर और मशीन से जुड़े लोग अपने औजार और मशीनों की पूजा करते हैं। कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में इस दिन पूजा और हवन आदि किए जाते हैं. यानी अब इस योजना के जरिए पारंपरिक हुनर को सरकारी मदद के पंख लगेंगे।
ट्रेडिशनल स्किल्स में काम करने वाले कामगारों को इस योजना का फायदा मिलेगा। बताते चलें कि पहले से ही एक विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना भी चल रही है। इस योजना के तहत न केवल आर्थिक मदद की जाएगी बल्कि इसमें प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीकों की जानकारी और ग्रीन तकनीक, ब्रांड का प्रमोशन, स्थानीय और वैश्विक बाजारों से जुड़ाव, डिजिटल पेमेंट्स और सामाजिक सुरक्षा की भी बात शामिल है. फिलहाल नई योजना से सभी दस्तकारों, कामगारों और कारीगरों को लाभ मिलेगा।