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चीन से सटी सीमा पर भारत बनाएगा दुनिया की सबसे ऊंची फाइटर एयरफील्ड, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखी आधारशिला

भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड की वर्चुअल तरीके से आधारशिला रखी। जिसे 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। यह एयरफील्ड वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के 50 किलोमीटर नजदीक होगी और यहां लड़ाकू विमान उतर सकेंगे।

पूर्वी लद्दाख स्थित न्योमा एयरफील्ड 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनेगी। न्योमा हवाई पट्टी पर अभी तक हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ही उड़ान भर सकते हैं। यह लद्दाख में तीसरा फाइटर एयरबेस होगा। लेह और थोईस में पहले से एयरबेस हैं।

फाइटर जेट भर सकेंगे उड़ान

अभी न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड है। इसका इस्तेमाल हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की आवाजाही के लिए हो रहा है, लेकिन हवाई पट्टी बनने के बाद वहां से लड़ाकू विमान भी उड़ान भर सकेंगे। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि यह एयरफील्ड लद्दाख समेत उत्तरी सीमा पर वायुसेना की क्षमता को बढ़ाएगी।

पूर्वी लद्दाख में बन रहे इस एयरफील्ड को बनाने का जिम्मा बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक इसे लद्दाख में अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए स्टेजिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जाएगा। यह दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में से एक होगा, जो हमारे सशस्त्र बलों के लिए एक गेम चेंजर जैसा होगा।

न्योमा इलाके में बनाया जा रहा एयरफील्ड विश्व का सबसे ऊंचा लड़ाकू हवाई क्षेत्र होगा। खास बात यह है कि यह एयरफील्ड चीन सीमा से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर है। बताया जा रहा है कि अगले तीन वर्षों में भारतीय वायु सेना का यह एयरबेस बनकर तैयार होगा।

एलएसी पर चीनी सेना के साथ चल रहे तनाव को देखते हुए यह भारत के लिए फैसला काफी अहम माना जा रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा, “हमें विश्वास है कि यह हवाई अड्डा, जो दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में से एक होगा, सशस्त्र बलों के लिए अत्‍यधिक उपयोगी होगा।”

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Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

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