केंद्र सरकार ने 31 अगस्त को अचानक 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया था। उस समय सरकार ने इस बात की विपक्ष को जानकारी नहीं दी थी कि आखिर विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है। साथ ही सरकार ने विशेष सत्र को लेकर विपक्ष से चर्चा भी नहीं की थी। जबकि सरकार को ऐसा करना चाहिए था। विशेष सत्र का एजेंडा नहीं बताने पर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा था और सरकार से यह मांग कर रहा था कि वह बताए आखिर संसद के विशेष सत्र का आकिर एजेंडा क्या होगा? अब सरकार ने इस बात की जानकारी दे दी है कि विशेष सत्र का क्या एजेंडा होगा। सरकार ने बताया कि सत्र के दौरान चुनाव आयोग से जुड़े बिल समेत 4 विधेयक संसद में पेश किए जाएंगे। इनमें से एक विधेयक ‘मुख्य चुनाव आयुक्त-अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक, 2023’ है, जिसका विरोध कांग्रेस करने जा रही है।
कांग्रेस नेता पवन खेडा ने गुरूवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा ‘”सोनिया गांधी जी के पत्र का असर हुआ और इसीलिए उन्होंने एक एजेंडा जारी किया है। एजेंडे को देखकर कहा जा सकता है कि इस एजेंडे में ऐसा क्या है जो शीतकालीन सत्र तक इंतजार नहीं किया जा सकता था? वहीं कुछ ऐसा है जिसे साझा नहीं किया गया है, इसे गुप्त रखा जा रहा है… हम सीईसी बिल का विरोध करेंगे।”
#WATCH | Delhi: On the tentative list of the agenda for Parliament's Special Session released by the Centre, Congress leader Pawan Khera says, "The letter by Sonia (Gandhi) ji had an impact and that is why they have released an agenda. By looking at the agenda it can be said,… pic.twitter.com/47mxK0y8Q1
— ANI (@ANI) September 14, 2023
कुछ दिनों पहले कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर विशेष सत्र बुलाए जाने का एजेंडा पूछा था। एजेंडा जारी होने के बाद कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “आखिरकार सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र के दबाव में मोदी सरकार ने पांच दिवसीय विशेष सत्र के एजेंडे की घोषणा की है। फिलहाल जो एजेंडा बताया गया है। उसमें कुछ भी नहीं है।”
Finally, after pressure from Smt. Sonia Gandhi's letter to the Prime Minister, the Modi Govt has condescended to announce the agenda for the special 5-day session of Parliament beginning September 18th.
The agenda as published at the moment, is much ado about nothing — all this… pic.twitter.com/1y1U6bqkBH
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 13, 2023
रमेश ने आगे लिखा, “इन सब के लिए नवंबर में शीतकालीन सत्र का इंतजार किया जा सकता था। मुझे यकीन है कि सदन में हमेशा की तरह आखिरी पल में नए मुद्दे आने को तैयार हैं। पर्दे के पीछे कुछ और है। लेकिन इसके बावजूद इंडिया गठबंधन सीईसी बिल का डटकर विरोध करेगी।”
क्या है मुख्य चुनाव आयुक्त-अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक, 2023
सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करने के मकसद से मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया था। बिल विवादास्पद बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बिल में शक्ति का संतुलन एक तरफा है, जिससे चुनाव आयुक्त निष्पक्ष नहीं रह जाता है। ऐसे में विपक्ष का कहना है कि अगर यह बिल पास हुआ तो इसकी निष्पक्षता सवालों के घेरे में रहेगी, क्योंकि चुनाव आयोग पर एकतरफ नियंत्रण देश की चुनावी प्रक्रिया को बाधा पहुंचाएगा। चुनावों में पारदर्शिता नहीं रह जाएगी।
विधेयक पर सरकार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 में कोई संसदीय कानून नहीं था, इसलिए सरकार अब इस समस्या को खत्म करने के लिए इस विधेयक का निर्माण कर रही है। इस बिल की विशेषताओं की बात करें तो इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। सदस्य के तौर पर लोकसभा के नेता विपक्ष (यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता यह भूमिका निभाएगा)। प्रधानमंत्री एक सदस्य के तौर पर एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को नामित कर सकेंगे।