महिला आरक्षण बिल को नई संसद में पेश कर दिया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पेश किया। महिला आरक्षण बिल का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल है। महिला आरक्षण बिल पर सभी दल एक साथ नजर आ रहे हैं। ऐसे में इस बिल के आसानी से दोनों सदनों से पास होने की उम्मीद है। इस बिल के कानून बनने के बाद महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण मिलेगा।
बताते चलें कि बीते सोमवार शाम केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें महिला आरक्षण बिल को लेकर चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से इस बिल को मंजूरी मिल चुकी है। हाल ही में आयोजित हुई सर्वदलीय बैठक में भी सभी दलों ने महिला आरक्षण बिल को लेकर सहमति जताई थी। कांग्रेस ने कहा था कि पार्टी की तरफ से लंबे समय से मांग की जा रही थी कि महिला आरक्षण लागू किया जाए। हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की खबर का स्वागत करते हैं।
भारत का महिला आरक्षण बिल एक संविधान संशोधन विधेयक है। इसके जरिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण देने की बात कही गई है। इस बिल को पहली बार 1996 में पेश किया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक इसे पारित नहीं किया जा सका। बिल के अनुसार आरक्षित सीटों के लिए उम्मीदवारों को किसी भी राजनीतिक दल से चुनाव लड़ने की इजाजत मिलेगी।
इस बिल में 33% कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का प्रस्ताव भी है। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के जरिए आवंटित की जा सकती हैं। महिला आरक्षण बिल के समर्थकों का तर्क है कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण और प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए एक आवश्यक कदम है।