कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली बीजेपी और जेडीएस ने अब लोकसभा चुनाव के लिए आपस में गठबंधन कर लिया है। शुक्रवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और कुमारस्वामी ने दिल्ली में मुलाकात की। लेकिन कर्नाटक में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली ये दोनो पार्टियां जब लोकसभा में एक साथ आयेंगी तो क्या इनका साझा वोट शेयर सीटों में तब्दील होता दिखेगा? क्या 2023 विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीतने वाली कांग्रेस को नुकसान होगा? इन्ही सवालों के जवाब प्रदीप भंडारी ने अपने विश्लेषण में दिए और बताया की बीजेपी और जेडीएस गठबंधन के बाद क्या रहेगा कर्नाटक का चुनावी समीकरण।
प्रदीप भंडारी ने कहा “कर्नाटक चुनाव में जहां JDS और BJP दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे। वहीं अब लोकसभा चुनाव के लिए इनका गठबंधन हो चुका है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ये घोषणा की है की अमित शाह और कुमारस्वामी ने मुलाकात की है। साथ में ये भी कहा जा रहा है की पीएम नरेंद्र मोदी और एचडी देवगौड़ा ने भी आपस में बात की है।”
The alliance is an admission that Congress is stronger on the ground in #Karnataka than what it was in 2018, & it is an attempt to prevent it from gaining ground in Mysore Karnataka. Whether Vokkaliga dominated JDS which is at its weakest, & BJP be able to transfer vote among… https://t.co/5uQhn9ZdIA
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) September 22, 2023
उन्होंने आगे बताया की “इसका कारण ये है की कर्नाटक के अंदर कांग्रेस पार्टी जमीनी स्तर पर 2018 से ज्यादा मजबूत है। अगर आप 2023 कर्नाटक चुनाव के वोट शेयर को देखेंगे तो आपको दिखेगा की इस बार 2018 के मुकाबले कांग्रेस का वोट शेयर 4.5 से 5 प्रतिशत ज्यादा था। और ये जो बढ़त हुई थी ये JDS के घटे हुए वोट शेयर का नतीजा थी। बीजेपी का वोट शेयर 36 प्रतिशत के आस-पास ही रहा था जो 2018 में भी सेम था। 2013 चुनाव में जेडीएस ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया है जिसमे उसे 18 प्रतिशत के आस पास वोट शेयर मिला है। जिसका मतलब है जी जेडीएस का वोट घटा है, बीजेपी का वोट घटा नहीं है लेकिन बढ़ा भी नहीं। जबकि कांग्रेस ने अपने वोट शेयर को इस बार बढ़ाया है। खासकर साउथ कर्नाटक के इलाके में जहां 10 जिलों में वोकलिग्गा समुदाय की संख्या ज्यादा है। वहां पर इस बार SC, OBC और लिंगायत वोटरों ने जेडीएस के खिलाफ वोट किया था। रामनगरम जैसी सीट जहां से कुमारस्वामी के बेटे उम्मीदवार थे वह से भी जेडीएस नहीं जीत पाई। जिसका मतलब ये है की यहां से बीजेपी का वोट शेयर तो बढ़ा लेकिन वो सिर्फ 6 सीट ही जीत पाई। जबकि यहां से कांग्रेस को ज्यादा फायदा हुआ और उसने कर्नाटक चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की।”
Met Former Chief Minister of Karnataka and JD(S) leader Shri H.D. Kumaraswamy in the presence of our senior leader and Home Minister Shri @AmitShah Ji.
I am happy that JD(S) has decided to be the part of National Democratic Alliance. We wholeheartedly welcome them in the NDA.… pic.twitter.com/eRDUdCwLJc— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) September 22, 2023
प्रदीप भंडारी ने आगे बताया “बीजेपी को अच्छे से ये पता है की लोकसभा चुनाव के अंदर ये रिस्क नहीं लिया जा सकता और जेडीएस को भी ये मालूम है की ये चुनाव उनके सर्वाइवल की लड़ाई है। जेडीएस साउथ कर्नाटक और मैसूर कर्नाटक के अंदर परंपरागत तौर पर मजूत रही है। उसे वहां वोकलिग्गा वोट मिलते है लेकिन नॉन वोकलिग्गा वोट वो नहीं खींच पा रही है। ऐसे में बीजेपी और जेडीएस इस इलाके में एक साथ आकर कांग्रेस को रोकना चाहती है। बीजेपी जानती है की कर्नाटक में जितनी सीटें 2014 में उसे मिली थीं उससे कम में इस बार काम नहीं चलने वाला है। 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 17 सीटें हासिल हुई थीं।”
प्रदीप ने आगे कहा “लेकिन गौर करने वाली बात ये है की लोकसभा के अंदर जो बीजेपी का वोट शेयर 43 प्रतिशत था। कांग्रेस का वोट शेयर 40 प्रतिशत और जेडीएस का 11 प्रतिशत था। बीजेपी को पता है की कांग्रेस आज 2014 से ज्यादा मजबूत है इसलिए अगर वो जेडीएस के साथ नहीं लड़ी तो उसे नुकसान हो सकता है। अगर बीजेपी और जेडीएस एक साथ आ गए और वोट ट्रांसफर हो गया तो बीजेपी का 2019 में जो 51 प्रतिशत वोट शेयर था जिसमे 25 सीटें उसने हासिल की थीं, वो दोबारा से हो सकता हैं।”
आखिर ये गठबंधन क्यों हो रहा है?
इस सवाल के जवाब में प्रदीप भंडारी ने इसके मुख्यतः दो कारण बताए। उन्होंने कहा…
1. कांग्रेस 2023 में 2018 से ज्यादा मजबूत है।
2. जेडीएस के लिए सर्वाइवल की लड़ाई है और बीजेपी अपनी 2014 की जो सीटें है उससे नीचे जाना अफोर्ड नहीं कर सकती है।
उन्होंने कहा की “अब देखना ये होगा की मैसूर कर्नाटक के अंदर जो 10 जिले हैं क्या वहां पर बीजेपी और जेडीएस के बीच वोट ट्रांसफर हो पाएगा? क्या वो इस वोट को सीट में बदल पाएंगे? ये देखना काफी दिलचस्प होने वाला है।”