एशियन गेम्स के 72 साल के इतिहास में शनिवार को भारत ने पहली बार अपना पदकों का शतक बनाकर इतिहास लिख दिया है। 25 गोल्ड मेडल के साथ भारत के खाते में अब तक कुल 100 पदक हो चुके हैं। ये बदलते भारत की ही तस्वीर है जिसके हम सब भारतवासी साक्षी बन रहे हैं। इससे पहले आज तक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का ऐसा आत्मविश्वास हमने कभी नहीं देखा। हमने सिर्फ हॉकी और कुश्ती जैसी चुनिंदा प्रतिस्पर्धाओं में ही पदक नहीं जीता बल्कि एथेलेटिक्स, स्क्वैश और जैवलिन थ्रो जैसे डायवर्स खेलों में भी पदक अपने नाम किए हैं। ये सब इसलिए ही मुमकिन है क्योंकि भारत के अंदर इस वक्त जीतने की चाह है, अभूतपूर्व आत्मविश्वास है, और सबसे बड़ी बात की उन्हें पता है की भारत की सरकार उनके लिए हर संभव प्रयास के लिए तत्पर है।
ये आत्मविश्वास सिर्फ खेलों के लिए सीमित नहीं है, हमने यही आत्मविश्वास अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देखा जब हमारे चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के साउथ पोल के नजदीक सफलतापूर्वक लैंडिंग करके चांद पर भारत का झंडा फहरा दिया। जिस तरह चंद्रयान 2 के विफल होने पर पूरे देश की आंखों में दुख के आंसू थे, उसी तरह चंद्रयान 3 की सफलता पर पूरे देश में खुशी के आंसू थे। ये सब मुमकिन था सिर्फ आत्मविश्वास की वजह से, जो मोदी सरकार ने उन वैज्ञानिकों, टेक्नीशियन, और पूरी टीम को दिया, जिसका उदाहरण हमने चंद्रयान 2 के वक्त देखा था जब असफल लैंडिंग के बाद इसरो के डायरेक्टर के. सिवान भावुक हो गए थे और पीएम मोदी ने उन्हें गले लगाकर शाबाशी दी। ये आत्मविश्वास उसी वक्त पैदा हुआ था।
कनाडा खालिस्तान के मुद्दे पर भारत को घेरने की कोशिश करता है। खालिस्तानी आतंकियों से समर्थित सरकार चला रहे जस्टिन ट्रुडो अपनी संसद में खड़े होकर भारत पर आरोप लगाते हैं। ये सोचकर की भारत हमेशा की तरह झुक जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ उल्टा भारत ने कनाडा को ऐसा जवाब दिया की आज वो पूरी दुनिया से आलोचना झेल रहा है। ये भी मुमकिन है हमारे आत्मविश्वास की वजह से, जो हमने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करके हासिल किया, जो हमने रूस यूक्रेन युद्ध में किसी का पक्ष न लेकर शांति की बात करके हासिल किया, जो हमने कोविड के दौरान पूरे विश्व को वैक्सीन और बाकी जरूरी मदद देकर हासिल किया, जो हमने G 20 में पूरे विश्व का भव्य स्वागत कर हासिल किया।
ये बदलते भारत की ही तस्वीर है की पीएम मोदी जिन्हे कभी अमेरिका ने वीजा देने से मना कर दिया था आज उनका भव्य स्वागत करता है, उनके लीडर्स पीएम मोदी से मिलने के लिए उतावले रहते हैं। ये बदलते भारत की ही तस्वीर है की भारत रूस की आंख में आंख डालकर ये कहता है की ये दौर युद्ध का नहीं है। ये बदलते भारत की ही तस्वीर है की पपुआ न्यू गिनी के पीएम हमारे पीएम के पैर छूते हैं।