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भारत में महिला वोट का कितना है महत्व? लंदन में प्रदीप भंडारी ने विस्तार से समझाया

भारत के वरिष्ठ पत्रकार और चुनाव विश्लेषक प्रदीप भंडारी इन दिनों लंदन के दौरे पर थे। ‘जन की बात’ के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी को लंदन के भारत उच्चायोग के द्वारा आमंत्रित किया गया था। उच्चायोग में उन्होंने अपने संबोधन से अमिट छाप छोड़ दी। उन्होंने भारतीय चुनावों का ऐसे सटीक और विस्तृत विष्लेषण दिया की तालियों की आवाज़ से सभागार गूंज उठा।

हालांकि उन्होंने चुनाव के हर एक पहलू को बताया, खासकर उन्होंने जो भारतीय महीला वोटर को लेकर कहा वह अद्वितीय था। उन्होंने बताया भारत के किसी भी चुनाव में अब महीला एक सबसे मज़बूत और निर्णायक भूमिका में मज़बूत होती दिख रही हैं। महीला वोट जिधर सत्ता उधर ।

उन्होंने आगे कहा भारत में महिलाएं अधिक संख्या में मतदान कर रही हैं। आज भारत के दो-तिहाई राज्य चुनावों में महिलाओं का मतदान वास्तव में पुरुषों की तुलना में अधिक रहा है। यह एक गहरे पितृसत्तात्मक, रूढ़िवादी समाज में घटनाओं का एक उल्लेखनीय मोड़ है।

भारतीय महिलाएँ लगातार अधिक साक्षर, अधिक शिक्षित और समृद्ध होती जा रही हैं। यह उन्हें राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक बना सकता है। वे अभूतपूर्व संख्या में सामूहिक आयोजन में भी भाग ले रहे हैं, आमतौर पर छोटे स्थानीय समूहों के माध्यम से जिसमें महिलाएं एक-दूसरे को पैसे बचाने और आपातकालीन जरूरतों के लिए अपने संसाधनों को इकट्ठा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। कुछ सबूत बताते हैं कि जब महिलाएं इन आर्थिक नेटवर्क में भाग लेती हैं, तो उनके राजनीति में शामिल होने की अधिक संभावना होती है। ये समूह किसी राजनीतिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्थापित नहीं किए गए थे, लेकिन इनके राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।

उन्होंने कहा अगर 2019 के लोकसभा चुनाव को ही देख लें तो औरतों की भूमिका को बढ़-चढ़कर रेखांकित किया है। और उन्हें दोबारा फोकस में ला दिया है। इसका पहला कारण तो यह है कि इस चुनाव में पुरुषों और महिलाओं का वोट प्रतिशत लगभग समान है। पुरुषों के वोट 66.79 प्रतिशत और महिलाओं के 66.66 प्रतिशत रहे हैं। इन वोटों ने सालों के बाद बीजेपी को वापस ला दिया है।

उन्होंने बताया भारत में महिलाओं की स्थिति हमेशा एक समान नहीं रही है। इसमें समय-समय पर हमेशा बदलाव होता रहा है। यदि हम महिलाओं की स्थिति का आंकलन करें तो पता चलेगा कि वैदिक युग से लेकर वर्तमान समय तक महिलाओं की सामाजिक स्थिती में अनेक तरह के उतार चढ़ाव आते रहे हैं और उसके अनुसार ही उनके अधिकारों में बदलाव भी होता रहा है। इन बदलावों का ही परिणाम है कि महिलाओं का योगदान भारतीय राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं में दिनों-दिन बढ़ रहा है जो कि समावेशी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक सफल प्रयास है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो भारतीय लोकतंत्र में पहली बार ऐसा हुआ है कि कि 78 महिलाए सांसद के रूप में निर्वाचित होकर आईं हैं। वहीं पुरुष सांसदों की संख्या 2014 में 462 थी जो 2019 में घटकर 446 रह गई है इससे उनकी संख्या में करीब 3% की कमी आई है. इस बार आम चुनाव के लिए खड़े हुए 8,000 उम्मीदवारों में से महिला उम्मीदवारों की संख्या 10% से भी कम थी परन्तु संसद में जीतकर पहुंचने वाली महिलाओं का 14 प्रतिशत है. यह भारत की चुनावी राजनीति में आ रहे सकारात्मक बदलाव का ही संकेत है की ये चुनाव महिला उम्मीदवारों से जुड़े कई राजनैतिक पूर्वाग्रहों को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है।

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Chandan Kumar Pandey
Chandan Kumar Pandeyhttp://jankibaat.com
Chandan Pandey has 5 year+ experience in journalism field. Visit his twitter account @Realchandan21

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