देश की स्टील मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 16.1 करोड़ टन को पार कर चुकी है। स्टील उद्योग लगातार अच्छी ग्रोथ कर रहा है। राष्ट्रीय इस्पात नीति के अनुसार भारत का 2030 तक 30 करोड़ टन स्टील मैन्युफैक्चरिंग क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है।
इस्पात सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा, “राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय इस्पात संघ (ISA) के चौथे इस्पात सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, कि हम पहले ही 16.1 करोड़ टन क्षमता पार कर चुके हैं। इसमें ब्लास्ट फर्नेस-बेसिक ऑक्सिजन फर्नेस (BF-BOF) के जरिये 6.7 करोड़ टन, इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) से 3.6 करोड़ टन और इंडक्शन फर्नेस (आईएफ) के जरिये 5.8 करोड़ टन क्षमता शामिल है। इस बात पर जोर दिया कि देश का इस्पात उद्योग लगातार वृद्धि की राह पर है।”
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार है और अगले 10 साल में इसके सालाना आठ से 10 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा विनिर्माण क्षेत्र की सालाना वृद्धि दर सात से आठ फीसदी रहने का अनुमान है। इस वजह से दोनों क्षेत्रों में इस्पात की मांग बढ़ रही है। इस्पात क्षेत्र में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) बेहतर तरीके से आगे बढ़ रही है। उद्योग ने इसके तहत 29,500 करोड़ रुपये में से 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।