लक्ष्मी एम. पूरी का उपन्यास ‘स्वैलोइंग द सन’ इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस उपन्यास में महिलाओं के सशक्तिकरण और साहसिक चित्रण पर आधारित है। यह उपन्यास अंग्रेजी संस्करण में उपलब्ध है।
बताते चलें कि लक्ष्मी पुरी अट्ठाईस वर्षों तक भारतीय विदेश सेवा राजनयिक रही हैं। उन्होंने पंद्रह वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र में नेतृत्व पदों पर कार्य किया, हाल ही में वह इसके सहायक महासचिव के रूप में कार्यरत रहीं। वह सात मूलभूत वर्षों तक लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले पहले वैश्विक संगठन अनवुमन में एक नेता रहीं हैं। वह अन्य लोगों के अलावा मानवाधिकारों के लिए एलेनोर रूजवेल्ट पुरस्कार की प्राप्तकर्ता हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा की महिलाओं के आत्म-साक्षात्कार के लिए भारत के अग्रणी पथ पर अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए उत्साहित हूं। चूंकि हम दुनिया की आबादी का 1/6वां हिस्सा हैं, राजनीति, कानून निर्माण और शासन में हमारा नेतृत्व एक वैश्विक उदाहरण स्थापित करता है। मेरा पहला उपन्यास ‘स्वैलोइंग द सन’, महिलाओं के बाधाओं को तोड़ने और सशक्तिकरण को अपनाने के साहस को प्रतिबिंबित करता है। प्रत्येक पृष्ठ में महिलाओं के उदारता और उज्ज्वल चमकने की क्षमता का विस्तृत विश्लेष्ण है।
भारत में महिला सशक्तीकरण की दिशा में नीतिगत पहल अच्छी तरह से चल रही हैं, विशेष रूप से विकास कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी और जमीनी स्तर पर नीति-निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय नीति में महिलाओं को उनकी पूरी क्षमता प्राप्त करने और उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों में समान भागीदार के रूप में भाग लेने और सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने में सक्षम बनाने की परिकल्पना की गई है।
इस प्रकार से महिलाओं को नीति नियोजन में भाग लेने और सामाजिक और आर्थिक विकास कार्यक्रमों पर सूचित निर्णय और विकल्प बनाने में सक्षम बनाया गया है। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन भी एसएचजी सदस्यों की जन्मजात क्षमताओं का उपयोग करने पर निर्भर करती है और उन्हें बढ़ती अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए क्षमताओं के साथ पुरा करती है।