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मोदी सरकार में गांव और शहरों के बीच की मिट रही खाई, जानिए क्या कहती है एसबीआई की रिपोर्ट 

एसबीआई के अनुसंधान रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले दशक में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय में फ्रैक्टाइल वर्गों में लगभग बराबर वृद्धि हुई है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में शीर्ष और निचले फ्रैक्टाइल के बीच अंतर में तेज कमी आई है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष में एनएसएसओ द्वारा घरेलू उपभोग व्यय 2022-23 पर सर्वेक्षण पर आधारित हैं। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण परिवारों के लिए बेहतर जीवनयापन में आसानी लाने की योजना है, जिससे निर्बाध कनेक्टिविटी संभव हो सकेगी।

वहीं बेहतर परिवहन के साथ खपत में बढ़ोतरी होगी और बदले में खरीदारी और बिक्री/उपभोग के पैटर्न में गहराई से बदलाव आएगा।

पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित ग्रामीण सड़कों की बढ़ती लंबाई, राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ मिलकर कनेक्टिविटी के लूप में सुधार कर रही है, जिससे ग्रामीण आबादी के लिए वास्तविक समय में दो-तरफा पहुंच की सुविधा मिल रही है, क्योंकि क्षैतिज एकीकरण एक प्रमुख विभेदक के रूप में काम करता है।

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